अच्छे व्यवहार के कारण जेल से जल्दी रिहा होने के बाद भी एक अपराधी जेल में बंद है, क्योंकि उसके परिवार ने उसे वापस रखने को तैयार नहीं है।
बिजनौर जिला परिवीक्षा अधिकारी संजय कुमार ने कहा कि गारंटी परिजन द्वारा दिया गया एक हस्ताक्षरित हलफनामा है, जो कैदी को सौंपने की बात स्वीकार करता है और किसी भी गलत काम के मामले में परिवीक्षा अधिकारी को सूचित करने का वचन देता है।
उनके अनुसार, कैदी 62 वर्षीय केशव शरण 15 साल जेल की सजा काट चुका है। उन्हें रिहा करने के आदेश पिछले महीने दिए गए थे। वह अविवाहित है और बिजनौर में उसके दो भाई हैं, लेकिन दोनों ने उसे रखने से इनकार कर दिया, यह तर्क देते हुए कि उसकी रिहाई का उनके बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
परिवीक्षा अधिकारी, जो ऐसे मामलों में एक कैदी के राज्य द्वारा नियुक्त अभिभावक के रूप में कार्य करता है, उसको अब उसके पुनर्वास का काम सौंपा गया है। वह दूर के परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहा है, जो उस व्यक्ति को आश्रय प्रदान करने के इच्छुक हों।
शरण को 2006 में एक महिला के पति की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था, जिसके साथ उसका संबंध था।
बिजनौर की एक स्थानीय अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बाद में उन्हें बिजनौर जेल से बरेली जेल स्थानांतरित कर दिया गया। जुलाई में राज्य स्तरीय समिति द्वारा उनकी रिहाई को मंजूरी दिए जाने के बाद शरण को 15 अगस्त को मुक्त करना था।
शरण सहित बरेली जेल के दो कैदियों को रिहाई के लिए चुना गया था।
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Source : IANS