दुनिया में इस समय आईटी और साइबर टेक्नोलॉजी में बड़ा बदलाव किया गया है. उद्योग से लेकर युद्ध जैसी स्थिति में इसकी भूमिका बेहद अहम हो गई है. इसी को लेकर भारत को आईटी और साइबर टेक्नोलॉजी में दक्ष बनाने के लिए 5 और 6 अगस्त को ग्राउंड जीरो शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने दिल्ली के हरियाणा भवन में प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि भारत की आजादी के 75वें वर्ष का जश्न मनाते हुए हम एक प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण, मजबूत और कुशल राष्ट्रीय साइबर इकोसिस्टम स्थापित करने का संकल्प लें.
FANS के संगठन महामंत्री गोलोक बिहारी राय ने प्रेसवार्ता में बताया कि वो ग्राउंड जीरो नाम का कांफ्रेंस 5 और 6 अगस्त आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में करने जा रहे हैं, जोकि दो दिन अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में तकनीकी एवं गैर तकनीकी विषयों पर सेमिनार के रूप में चलेंगे. जिस तरह से साइबर का क्षेत्र लगभग पूर्ण विषम प्रकृति के साथ युद्ध के पांचवें क्षेत्र के रूप में उभरा है. जहां एक ओर इसने हमारे जीवन को आसान बना दिया है और एक वैश्विक दुनिया से जोड़ दिया है, जो विद्युत की गति से दुनिया भर में संसार को सक्षम करने वाले ऑप्टिकल फाइबर के फ्रेम के साथ जुड़ा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ यह बीते कुछ वर्षों में राजकीय और गैर-राजकीय अपराधिक गतिविधियों के लिए खेल का मैदान बन गया है.
भौतिक दुनिया के विकार अब साइबर क्षेत्र में अधिक परिष्कार के साथ दिखाई दे रहे हैं, जो वैश्विक कल्याण और शांति की नीतियों और प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में एक अवरोध बन गए हैं. साइबर क्षेत्र की पूर्ण विषम प्रकृति, गैरजिम्मेदारी, भौगोलिक सीमाओं की गैर बाध्यता और आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता की कमी इसको एक बहुत ही शक्तिशाली और घातक हथियार प्रदान करती है, जो दोधारी तलवार की तरह है.
उन्होंने बताया कि कॉन्फ्रेंस ग्राउंड जीरो शिखर सम्मेलन के नाम से होगी. कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य हम अपने देशवासियों के बीच साइबर के बारे में सहयोग और ज्ञान साझा करने के लिए जागरूकता पैदा करें, ताकि एक "रिंग ऑफ़ फायर" बनाया जा सके, जो हमारी मातृभूमि को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी बाहरी खतरे को नष्ट करने में सक्षम हो. जिस तरह हम शून्य के जनक हैं, इस क्षेत्र के विकास में हमारे पूर्वजों के योगदान को समझने की जरूरत है.
'ग्राउंड जीरो शिखर सम्मेलन' की अवधारणा आईटी मानव संसाधनों को एक साथ एकीकृत करके और वैश्विक शक्ति बनने के संकल्प के साथ हर साल एक सम्मेलन करने के लिए की गई है. राष्ट्र की सुरक्षा, जो कि हमारा सर्वोपरि लक्ष्य है, वह कल्याणकारी-राज्य निवारक प्रणालियों और विश्वसनीय शासन की तिपाई पर आधारित है. साइबर क्षेत्र के लक्ष्य सुनिश्चित करने में रचनात्मक रूप से सम्मिलित होने के सभी गुण है, इसके साथ ही प्रक्रियाओं को बाधित करने और नाकाम करने की जबरदस्त क्षमता है.
साइबर क्षेत्र के हथियार निरंकुश तरीके से उपलब्ध हैं और अज्ञात रूप से इस्तेमाल किए जा सकते हैं, इसीलिए यह विभिन्न राष्ट्रों और उनके क्षेत्रीय, वैश्विक गठबंधनों के लिए एक बड़ी चुनौती है. इस कॉन्फ्रेंस में देश के आईटी एक्सपर्ट, साइबर एक्सपर्ट और बड़ी संख्या में कंप्यूटर तकनीक के क्षेत्र से युवा जुड़ेंगे.
Source : Nishant Rai