सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फरीदाबाद के खोरी गांव में वन संरक्षित जमीन से अवैध निर्माण हटाए जाने को लेकर चल रही कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने लोगों के बेघर होने होने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से दिए गए बयान को खारिज करते हुए कहा कि बेहतर होता कि यूएन (UN) ने हमारे पुराने आदेश और पेपरबुक को देखा होता. कोर्ट ने ये टिप्पणी की जब सीनियर एडवोकेट मीनाक्षी अरोरा ने कोर्ट के सामने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का जिक्र किया है.
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पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ऑफिस ने खोरी गांव से करीब 1,00,000 लोगों को हटाए जाने की कार्रवाई रोकने की अपील की थी. मीनाक्षी अरोरा ने शुक्रवार को मानसून और कोविड महामारी के मद्देनजर कोर्ट से कुछ राहत की मांग की. उन्होंने कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई से पहले एडवांस नोटिस दिया जाए, ताकि रहने की वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकें, लेकिन कोर्ट ने अपनी ओर से पुराने आदेश में बदलाव करने से इनकार करते हुए कहा कि आप सम्बंधित ऑथारिटी के पास अपनी बात रखें, वहां से भी सन्तुष्ट न हो तो कोर्ट आ सकते हैं.
आपको बता दें कि हरियाणा के फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में उस वक्त बवाल खड़ा हो गया था, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर पुलिस टीम अवैध निर्माण को खाली कराने के लिए पहुंची थी. खोरी गांव में पुलिस के पहुंचने पर ग्रामीणों के साथ उसकी बहस शुरू हो गई थी. इसके बाद विवाद बढ़ता गया और फिर पुलिस व गांव के लोग आमने सामने आ गए थे. पुलिस और इलाके के लोगों के बीच जमकर झड़प हुई थी. इस दौरान ग्रामीण ने पुलिस टीम पर पथराव किया था तो पुलिस ने गांवों वालों को खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के खोरी गांव को खाली करना का आदेश दिया था. 6 हफ्ते के अंदर गांव को खाली कराने को कहा गया था. फरीदाबाद के खोरी गांव को खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस कई चरणों में गांव जा चुकी है, लेकिन गांव वाले अपना घर नहीं छोड़ना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर बने करीब 10 हजार मकानों को खाली करने का आदेश दिया था. बताया जाता है कि सूरजकुंड थाना क्षेत्र के खोरी गांव में 10 हजार मकान हैं, जिसमें तीन दशक से अधिक समय से लोग रह रहे हैं.