किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने शनिवार को कहा कि वह रविवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के समक्ष पेश नहीं हो पाएंगे, क्योंकि उनकी पोती की शादी है और इसी सिलसिले में वह सात फरवरी तक पारिवारिक कार्यों में व्यस्त रहेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें शॉर्ट नोटिस पर व्हाट्सएप पर नोटिस मिला है. सिरसा ने स्पष्ट किया कि एजेंसी की ओर से उन्हें तलब किए जाने से संबंधित कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है.
दरअसल, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी फंडिंग से जुड़े मामले में किसान संगठन के नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी पूछताछ के लिए बुलाया है. लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (एलबीआईडब्ल्यूएस) के अध्यक्ष सिरसा का संगठन उन किसान संगठनों में शामिल है, जो केंद्र के साथ बातचीत में शामिल है. एनआईए के समन के अनुसार, बलदेव सिंह सिरसा को 17 जनवरी को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश होना है.
यहां मीडिया से बात करते हुए सिरसा ने केंद्र सरकार पर विभिन्न तरीकों को अपनाकर किसानों के विरोध प्रदर्शन को पटरी से उतारने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, पहले उन्होंने (सरकार) लोगों और राजनेताओं के माध्यम से और फिर सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से हम (किसानों) पर दबाव बनाने की कोशिश की. अब वह एनआईए का उपयोग कर रहे हैं.
किसान नेता सिरसा ने कहा कि सरकार हमारे आंदोलन को पूरी तरह से नष्ट करना चाहती है.
सिरसा ने कहा कि उनकी पोती की शादी के कारण सात फरवरी से पहले उनका एजेंसी के सामने पेश होना मुश्किल है.
सिरसा ने कहा कि आंदोलन से जुड़े कई लोगों को एनआईए समन मिला है. उन्होंने कहा, "सरकार किसानों के लिए काम करने वालों को भयभीत करने की कोशिश कर रही है. हम इस तरह की रणनीति से डरने और झुकने वाले नहीं हैं. सरकार विरोध प्रदर्शन को बदनाम करने पर तुली हुई है."
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस भेजे हैं, जिनमें एक पत्रकार और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं.
एनआईए के एक अधिकारी ने आईएएनएस को से कहा, "एनआईए ने जांच के सिलसिले में कई लोगों को नोटिस भेजा है."
अधिकारी ने कहा कि मामले के कुछ विवरणों का पता लगाने के लिए उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया है.
Source : News Nation Bureau