मोदी सरकार की ओर से पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रोक लगा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का समाधान निकालने के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया है. इस कमेटी में कुल 4 लोग शामिल होंगे. यह कमेटी मामले की मध्यस्थता नहीं, बल्कि हल निकालने का भी प्रयास करेगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हमारे पास नहीं आ जाती हैं तब तक हम काम शुरू नहीं कर सकते हैं.
कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने आगे कहा कि गाइडलाइंस आने के बाद हम सब किसान नेताओं से मिलकर उनकी राय जानेंगे कि उनको क्या चाहिए और वो कैसे किया जा सकता है. पहले किसानों का कहना सुनना पड़ेगा, अगर उनकी कोई गलतफहमी है तो वो दूर करेंगे. किसानों को विश्वास दिलाना पड़ेगा कि MSP और APMC रहेगा. जो कुछ भी होगा वो पूरे देश के किसानों के हित में होगा.
अनिल घनवट ने आगे कहा कि ये आंदोलन कहीं रुकना चाहिए और किसानों के हित में एक क़ानून बनना चाहिए. क़ानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होना चाहिए. आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के जोशी शामिल हैं. ये कमेटी सुप्रीम कोर्ट को सीधे अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक कृषि कानूनों के अमल पर रोक जारी रहेगी.
Source : News Nation Bureau