सरकार-किसानों की बातचीत में गतिरोध जारी, 5 दिसंबर को होगी अगली मीटिंग

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) की अगुवाई में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक बृहस्पतिवार को भी बेनतीजा रही. एक सप्ताह के भीतर सरकार और किसान नेताओं के बीच यह दूसरी बैठक हुई.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
farmer protest

सरकार-किसानों की बातचीत में गतिरोध जारी( Photo Credit : ANI)

Advertisment

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) की अगुवाई में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक बृहस्पतिवार को भी बेनतीजा रही. एक सप्ताह के भीतर सरकार और किसान नेताओं के बीच यह दूसरी बैठक हुई. लगभग आठ घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने पर जोर देते रहे. इस दौरान उन्होंने सरकार की तरफ से उपलब्ध दोपहर का भोजन, चाय और पानी लेने से भी इनकार किया. विभिन्न किसान संगठनों के लगभग 40 नेताओं के साथ बैठक के दौरान सरकार ने अपनी ओर से उनकी सभी वैध चिंताओं पर ध्यान दिये जाने का आश्वासन दिया और कहा कि उनपर खुले दिमाग से विचार किया जाएगा, लेकिन किसान नेताओं ने कृषि कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को उजागर किया.

यह भी पढ़ेंःमुंबई में ट्रिपल सुसाइड, एक ही परिवार के 3 लोगों ने की आत्महत्या; जानें क्यों

किसान नेताओं का कहना था कि इन कानूनों को जल्दबाजी में पारित किया गया. कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ चौथे दौर की बातचीत के बाद संवाददाताओं से कहा कि अगले दौर की बातचीत शनिवार को दोपहर दो बजे होगी. उन्होंने कहा कि इसमें ‘किसी तरह का अहंकार नहीं है’ और सरकार तीन नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों की आशंकाओं के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुले दिमाग से बातचीत करने और विचार करने को सहमत है. इन बिंदुओं में कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को मजबूत करना, प्रस्तावित निजी मंडियों के साथ कर समानता और किसी विवाद की स्थिति में विवाद निपटान के लिए किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की स्वतंत्रता दिए जाने जैसे पहलु भी शामिल हैं.

तोमर ने कहा कि सरकार फसल अवशेषों को जलाए जाने और बिजली संबंधी कानून पर जारी अध्यादेश से जुड़ी किसानों की चिंताओं पर भी गौर करने के लिए तैयार है. एक सरकारी सूत्र ने कहा कि बैठक शनिवार को फिर होगी क्योंकि समय की कमी के कारण कोई अंतिम नतीजा नहीं निकल सका. किसान नेता सभा स्थल से नारेबाजी करते हुये बाहर निकले और उन्होंने कहा कि वार्ता में गतिरोध बना हुआ है. किसान नेताओं में से कुछ ने धमकी दी कि बृहस्पतिवार की बैठक का कोई समाधान नहीं निकला तो आगे की बैठकों का बहिष्कार किया जाएगा.

यह भी पढ़ेंःकिसानों से बोले कृषि मंत्री तोमर- MSP में नहीं होगा कोई बदलाव

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के कार्य समूह सदस्य तथा महाराष्ट्र और गुजरात के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रतिभा शिंदे ने कहा, ‘‘हमारी ओर से वार्ता पूरी हो चुकी है. हमारे नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार द्वारा आज कोई समाधान नहीं दिया जाता है तो वे आगे की बैठकों में भाग नहीं लेंगे.’’

वहीं, एक अन्य किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार ने एमएसपी और खरीद प्रणाली सहित कई प्रस्ताव रखे हैं, जिन पर शनिवार को सरकार के साथ अगली बैठक से पहले किसान संगठनों के साथ चर्चा की जाएगी. एआईकेएससीसी के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यूनियनों की मुख्य मांग तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की है और सरकार ने किसान नेताओं द्वारा बताई गई 8-10 विशिष्ट कमियों को भी सुना है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें कोई संशोधन नहीं चाहिए. हम चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाए.’’

यह भी पढ़ेंःUttar Pradesh: बांदा में सड़क हादसा, 6 लोगों की मौत; CM ने जताया दुख

मोल्लाह ने कहा कि सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत से पहले सभी किसान संगठन शुक्रवार को सुबह 11 बजे बैठक करेंगे., सरकार ने तीनों कानूनों के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी और किसानों के कल्याण की अपनी मंशा को किसान नेताओं की समक्ष रखा. हालांकि, किसान नेताओं ने सरकार के रुख को खारिज कर दिया. तोमर के अलावा, सरकार की ओर से रेलवे, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश (जो पंजाब से सांसद भी हैं) भी बैठक में शामिल थे.

सरकार के साथ बैठक के लिये आये 40 किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से पेश दोपहर के भोजन को लेने से इनकार कर दिया और सिंघू बार्डर से एक वैन में लाये गये भोजन को खाना पसंद किया, जहां उनके हजारों सहयोगी नए कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं. उन्होंने बैठक के दौरान चाय और पानी की पेशकश को भी स्वीकार नहीं किया. बैठक दोपहर 12 बजे के आसपास शुरू हुई और शाम देर तक चली. पिछले दौर की वार्ता एक दिसंबर को हुई थी, लेकिन तीन घंटे की चर्चा के बाद भी गतिरोध बना रहा क्योंकि किसान नेताओं ने उनके मुद्दों पर गौर करने के लिए एक नई समिति गठित करने के सरकार के सुझाव को खारिज कर दिया था.

सरकार ने एक दिसंबर की बैठक में किसान नेताओं के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया था और किसान नेताओं से कहा था कि वे नये कानूनों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों की पहचान कर दो दिसंबर तक सरकार को सौंप दें ताकि बृहस्पतिवार को उन पर विचार विमर्श हो सके. बुधवार को, आंदोलनकारी किसानों ने मांग की थी कि केंद्र सरकार, संसद का एक विशेष सत्र बुलाए और नए कृषि कानूनों को निरस्त करे. ऐसा नहीं किये जाने पर उन्होंने अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी.

शिंदे ने कहा कि बृहस्पतिवार को अपनी लंबी बैठक के दौरान, किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि वे दोपहर के भोजन की पेशकश करके एक अच्छा मेजबान बनने की कोशिश के बजाय मुद्दों का हल निकालने पर ध्यान केन्द्रित करें. हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और टिकरी सीमाओं पर आठ दिन से कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन देश के अन्य भागों में, विशेषकर पंजाब में, विरोध लंबे समय से जारी है.

बैठक के बाद, तोमर ने संवाददाताओं से कहा कि ‘‘चर्चा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, जहां किसान नेताओं ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया और सरकार ने भी अपने विचार रखे. चार दौर की वार्ता के बाद किसानों के बीच चिंता के कुछ प्रमुख बिंदु सामने आए.’’ मंत्री ने कहा कि सरकार ने हमेशा कहा है कि वह किसानों के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और आगे भी रहेगी.

उन्होंने कहा कि ‘‘सरकार की तरफ से कोई अहंकार नहीं है और हम किसान यूनियनों के साथ हर मुद्दे पर खुले दिमाग से चर्चा कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि ‘‘सरकार एपीएमसी ढांचे को मजबूत करने और इसे अधिक उपयोगी बनाने के तरीकों पर विचार करेगी. जहां तक नए कानूनों का सवाल है, एपीएमसी के दायरे से बाहर निजी मंडियों के लिए प्रावधान किये गये हैं. उन निजी मंडियों की स्थापना की जाएगी और हम विचार करेंगे कि एपीएमसी कानून के तहत स्थापित मंडियों और इन निजी मंडियों के बीच करों की समानता कैसे हो सकती है. उन्होंने कहा कि हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि एपीएमसी मंडी प्रणाली के बाहर परिचालन करने वाले सभी व्यापारियों का पंजीकरण हो.

Source : Bhasha

Modi Government farmer-protest new-agriculture-law-2020 Narendra Singh Tomar farmer laws
Advertisment
Advertisment
Advertisment