किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को 8वें दौर की बातचीत हुई. इस बैठक में आंदोलन खत्म करने के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पायी. किसानों ने बैठक शुरू होते ही. तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने की मांग की तो सरकार ने साफ कहा कि कृषि कानून वापस नहीं लिया जाएगा. जो जरूरी संशोधन है उसे करने को सरकार तैयार. वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे तबतक घर वापसी नहीं होगी. किसान आंदोलन करते रहेंगे. आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार को रास्ता निकालना है. हम लोगों ने सरकार को विकल्प दे दिया है कि एमएसपी पर कानून बनाओ और स्वामीनाथन रिपोर्ट ले आओ.
यह भी पढ़ें : किसान-केंद्र की फिर बातचीत, क्या निकलेगा कोई हल?
'MSP पर कानून बने, स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू हो'
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने न्यूज नेशन से कहा कि हम लोग इस बार मिलजुल कर गणतंत्र दिवस मनाएंगे. साथ ही कहा कि सरकार सिर्फ न्यूनतम समर्थन तय कर दे, बाकी व्यापारी इस रेट कर खरीदारी करेगा. उन्होंने कहा- अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी का रेट कम है, लेकिन भारत में ज्यादा है. सरकार व्यापारियों का साथ छोड़े.
यह भी पढ़ें : किसान ने सरकार के साथ बैठक में लगाई मरेंगे या जीतेंगे की तख्ती
'सरकार को हम लोगों ने प्रपोजल दे दिया है'
किसान नेता शिव कुमार शर्मा ने न्यूज नेशन से कहा कि सरकार को हम लोगों ने प्रपोजल दे दिया है. हमारा फोकस सिर्फ दो मांगों पर है, उससे कोई समझौता नहीं होगा. सरकार 15 जनवरी को फिर बैठक करेगी, लेकिन हम लोग 10 जनवरी को तय करेंगे कि सरकार के साथ बैठक करनी है कि नहीं. शिव कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार को आयात-निर्यात तय करे. अगर हमें तलहन और दलहन का अच्छा रेट मिलेगा तो हम लोग यही फसल करेंगे.
यह भी पढ़ें : सरकार ने फिर किया साफ- कृषि कानून नहीं होंगे वापस
'किसानों के लिए गारंटी का कानून बनना जरूरी'
शिव कुमार शर्मा ने कहा कि अगर इन तीन काले कृषि कानून का इफेक्ट देखना हो तो मध्य प्रदेश में मंडियों का हाल देखिए. किसान नेता कहा कि हमें कानून नहीं चाहिए तो फिर ये कानून जबरजस्ती क्यों दिए जा रहे हैं. किसानों के लिए गारंटी का कानून बनना जरूरी है. ताकि किसान सुरक्षित रहे.
Source : News Nation Bureau