Farmer Protest: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीनों कृषि कानूनों (Agriculture Law) पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. इसे केंद्र सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. साथ ही कोर्ट ने समस्या के समाधान के लिए कमेटी का भी गठन कर दिया है. सरकार और किसानों के बीच लंबे वक्त से चल रही बातचीत का समाधान न निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला लिया. इसके बाद भाकियू के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से देश का किसान निराश है.
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाए जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया है. इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं. इससे पहले किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसान संगठनों के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट से कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे है. हम कमेटी के सामने नहीं जायेंगे. किसान प्रदर्शन से पीछे नहीं हटेंगे. एमएल शर्मा ने कहा कि हम मर मिटने के लिए तैयार हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि जो भी लोग समाधान चाहते है, उन्हें कमेटी के पास जाकर अपनी बात रखनी चाहिए.
रोक लगाने से नहीं निकलेगा समाधान
कोर्ट ने कहा कि हम कानून पर रोक लगा सकते हैं पर इससे बात नहीं बनेगी. हमारे पास कमेटी बनाने का अधिकार है. हम समस्या का हल चाहते हैं. इसलिए कमेटी बनाने की बात कर रहे हैं. कोर्ट ने पूछा कि जब आप कहते है कि किसान कमेटी के पास नहीं जायेंगे। सवाल ये है कि क्या सारे किसान ऐसा चाहते है. अलग अलग यूनियन है। उनकी अलग अलग राय है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन पर मांगा हलफनामा
कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया कि आरोप है कि कुछ प्रतिबंधित संगठन प्रदर्शन को स्पॉन्सर कर रहे हैं आपका क्या कहना है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि खालिस्तान समर्थक इस प्रदर्शन में शामिल हो गए है, ऐसी रिपोर्ट है. 26 जनवरी को कड़ी सुरक्षा रहती है। एक बार वो दिल्ली की सीमा में घुस गए, कहां जायेंगे. कुछ नहीं कहा जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सरकार से कल तक हलफनामा दायर करने को कहा है.
Source : News Nation Bureau