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Farmer Protest: किसान क्यों कर रहे MSP की मांग, MRP और  MSP में क्या हैं अंतर?

Farmer Protest: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज किसानों का मार्च है. किसानों ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) समेत कई मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ के कूच कर दिया है

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Mohit Sharma
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Farmer Protest

Farmer Protest( Photo Credit : File Pic)

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Farmer Protest: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आज किसानों का मार्च है. किसानों ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) समेत कई मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ के कूच कर दिया है. हालांकि इससे पहले कल रात को किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच लगभग पांच घंटे तक बातचीत चली. इस दौरान केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के समझाने का प्रयास किया और उनकी कुछ मांगों पर विचार करने का आश्वासन भी दिया, लेकिन किसान एमएसपी की मांग पर अड़े रहे. आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों से खासकर किसान आंदोलन से एमएसपी शब्द रह-रह कर सुनने को मिल रहा है. इसके साथ ही कुछ लोग एमएसपी और एमआरपी में भेद नहीं समझ पा रहा है. लोगों की समझ यही भी नहीं आ रहा है कि एमएसपी है क्या और इसके लागू होने से किसानों को क्या फायदा होने वाला है.

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क्या है MSP

एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का मतलब उत्पादकों ( यहां किसान ) को यह आश्वस्त करना है कि अगर बाजार में उनके उत्पाद ( फसल ) निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बिकता तो सरकार उस उत्पाद को पूर्व में घोषित एमएसपी पर खरीदेगी. इसके साथ ही किसान सरकार से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की मांग भी कर रहे हैं. इस कानून के तहत अगर कोई क्रेता किसानों की फसल को एमएसपी से कम दरों पर खरीददता है तो यह कानून अपराध होगा और उसके लिए कानून में सजा या जुर्माने का प्रावधान होगा. इससे किसानों का यह फायदा होगा कि उनकी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दरों पर नहीं बिक सकेंगी. आसान शब्दों में समझें तो अगर मंडियों में किसान को एमएसपी या उससे ज्यादा दाम नहीं मिलते तो सरकार किसानों से उनकी फसल को एमएसपी पर खरीद लेती है.

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क्या है MRP

एमआरपी से आशय अधिकतम खुदरा मूल्य से है. एमआरपी सरकार इस वजह से तय करती है ताकि उत्पादक और मध्यस्थ लोग व होलसेल एवं खुदरा व्यापारी मुनाफाखोरी न कर सकें. इसमें उत्पादक पैकिंग के समय ही पैक पर एमआरपी लिखवा देता है. एमआरपी के तहत अंतिम उपभोक्ता को एक निश्चित रेट तक का ही भुगतान करना होता है. इससे अधिक मूल्य मांगने पर विक्रेता यानी व्यापारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है. आसान शब्दों में समझें तो एमआरपी के तहत कोई व्यापारी किसी भी वस्तु को निर्धारित मूल्य से ज्यादा पर नहीं बेच सकता. जबकि एमएसपी के तहत कोई भी वस्तु निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं खरीदी जा सकती. आसान भाषा में समझें तो एमआरपी का फुल फॉर्म मैग्जीमम रिटेल प्राइज होता है. एमआरपी किसी भी सामान की वह कीमत है, जिससे अधिक पैसे पर उसे नहीं बेचा जा सकता. अगर कोई रिटेलर एमआरपी से ज्यादा कीमत पर उत्पाद बेचता है तो कस्टमर उसकी शिकायत कर सकता है और कंपनी को जुर्माना लगाया जा सकता है. 

Source : News Nation Bureau

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