Farmer Protest: देश में लोकसभा चुनाव से ऐन पहले किसान आंदोलन को लेकर माहौल एक बार फिर गरमाता नजर आ रहा है. किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का आह्वान किया है. किसान संगठनों ने 13 फरवरी को दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है. इस क्रम में सरकार ने भी किसानों से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है. अब जबकि किसानों की मांगों और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसान 13 महीने तक किसान आंदोलन कर चुके हैं तो अब फिर से किसान आंदोलन को लेकर लोगों के मन में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. क्योंकि दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने तक चले धरना प्रदर्शन और आंदोलन को सरकार की पहल पर वापस ले लिया गया था. सरकार ने किसानों की मांगों को मानते हुए धरना खत्म करने की अपील की थी, जिसके बाद आंदोलन को समाप्त कर दिया गया था. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सरकार के खिलाफ फिर से सिर उठा रहे किसान आंदोलन और उसकी मांगों को जान लिया जाए.
दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने 12 मांगों को लेकर सरकार की मोर्चाबंदी की हुई है. ये दोनों ही संगठन तीनों कृषि कानूनों को लेकर हुए किसान आंदोलन में शामिल रह चुके हैं. इस क्रम में हम आपको बता दें कि इन दोनों किसान संगठनों की मांगें क्या हैं-
- किसानों की सभी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीदी जाएं. साथ ही एमएसपी की अनिवार्यता को लेकर कानून बनाया जाए और एम एस स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए.
- सरकार किसानों और श्रमिकों के सभी लोन माफ करे
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को देशभर में फिर से लागू किया जाए. इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित समहमति और कलेक्टर भाव से चार गुना ज्यादा मुआवजे की व्यवस्था की जाए.
- लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सजा मिले
- इसके साथ ही सभी मुक्त व्यापार समझौतों (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर रोक लगाई जाए.
- किसानों और खेतों में काम करने वाले मजदूरों को पेंशन दी जाए.
- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए.
- बिजली संशोधन बिल 2020 को कैंसिल किया जाए
- मनरेगा में हर साल दो सौ दिन की रोजगार गारंटी, 700 रुपए मजदूरी भत्ता की व्यवस्था और साथ ही मनरेगा को खेती किसानी से जोड़ा जाए.
- नकली कीटनाशक दवाइंयां, बीज और खाद बनाने वाली कंपनियों को दंडित किया जाए और जुर्माने का प्रावधान हो. इसके साथ ही बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.
- मसोलों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
- इसके अलावा संविधान की पांचवीं सूची को तुरंत लागू किया जाए.
Source : News Nation Bureau