Farmer Protest : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बुधवार को घोषणा की कि ये कानून 'वैकल्पिक हैं और अनिवार्य नहीं' हैं. उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों पर किसानों के तार्किक सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है. इसके बाद सयुंक्त किसान मोर्चा की बैठक में अंदोलन को तेज करने के लिए कई फैसले लिए गए. इसके तहत किसानों ने ऐलान किया है कि 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा.
सयुंक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने बुधवार को मीटिंग की. इस बैठक में आंदोलन को तेज करने को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं. इसके फैसला लिया गया है कि 12 फरवरी से राजस्थान के भी सभी रोड टोल प्लाजा को टोल मुक्त करवाया जाएगा. 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद जवानों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में कैंडल मार्च व मशाल जुलूस व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
एसकेएम ने ये भी फैसले लिए हैं कि 16 फरवरी को किसान मसीहा सर् छोटूराम की जयंती के दिन देशभर में किसान एकजुटता दिखाएंगे. देशभर में 18 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक रेल रोको कार्यक्रम किया जाएगा.
आपको बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए यह घोषणा की. दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में, मोदी ने कहा कि 'अफवाह फैलाई जा रही है कि ये कानून किसानों के खिलाफ हैं.' प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कानून संसद में कृषि क्षेत्र में सुधार के मद्देनजर पारित किए गए क्योंकि यह समय की आवश्यकता है.
उन्होंने पूछा कि क्या इन तीनों कृषि कानूनों से किसानों की सुविधाओं को छीना जा रहा है, जो उन्हें पहले मिल रहे थे? उन्होंने कहा, "किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं है. ये कानून किसानों के विकास में बाधा पैदा नहीं करते हैं. ये कानून वैकल्पिक हैं, अनिवार्य नहीं हैं. ये कानून न तो पुराने 'मंडियों' को रोकते हैं और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपज की खरीद प्रभावित होती है."
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों को हमेशा सम्मानित किया है और सरकार उन्हें भविष्य में भी सम्मान देना जारी रखेगी. सरकार उनके साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी इन कानूनों पर उनके तार्किक सुझावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के दिल्ली पहुंचने से पहले ही उनके साथ विभिन्न दौर की बातचीत की, जहां वे 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं.
मोदी ने कहा, "हम अभी भी किसानों के साथ खुले दिल से बातचीत करने और इन तीनों कृषि कानूनों पर उनके सुझाव पर अमल करने के लिए तैयार हैं." यह दोहराते हुए कि 'इन कानूनों के पारित होने के बाद न तो कोई 'मंडियां बंद हुईं और न ही एमएसपी की खरीद प्रभावित हुईं.' प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके विपरीत हमारे पास इस बजट में मंडियों की संख्या बढ़ाने का प्रावधान है और एमएसपी पर खरीद भी पहले की तुलना में बढ़ी है.
Source : News Nation Bureau