तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग के दिल्ली की सीमा पर काफी दिनों से किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरना-प्रदर्शन का शुक्रवार को 274वां दिन है. आंदोलन का आगे क्या दशा-दिशा होगी, इस पर किसानों ने धरना स्थल पर अखिल भारतीय सम्मेलन किया. सम्मेलन में 25 सितंबर को 1 दिन के लिए भारत बंद का आह्वान किया गया. और आंदोलन को देश के गांव-गांव तक विस्तार करने का संकल्प पारित किया गया. सम्मेलन में मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की एसकेएम रैली को सफल बनाने की अपील भी की गयी.
सम्मेलन में किसानों, कृषि श्रमिकों, ट्रेड यूनियनों, महिलाओं, छात्रों, युवाओं, व्यापारी निकायों के प्रतिनिधियों ने तीनों कृषि अधिनियमों को रद्द करने, सी2+50 प्रतिशत के एमएसपी पर सभी कृषि उपज की खरीद की कानूनी गारंटी के लिए, नए बिजली बिल को निरस्त करने और एनसीआर में वायु गुणवत्ता के नाम पर किसानों पर मुकदमा चलाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.
यह भी पढ़ें:बंगाल में उपचुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग पर बढ़ते दबाव पर भाजपा ने तृणमूल पर साधा निशाना
आयोजन समिति के संयोजक डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि, "आज पूरा किसान समुदाय कृषि, खाद्य भंडारण और कृषि बाजार के सभी पहलुओं पर कॉर्पोरेट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण से लड़ने के लिए मजबूर है. इन परिवर्तनों से किसान ऋण, आत्महत्या और भूमि से विस्थापन में व्यापक वृद्धि होगी. लेकिन यह हमला किसानों और खेतिहर मजदूरों तक सीमित नहीं है. यह भारत के मेहनतकश लोगों के सभी वर्गों पर चौतरफा हमला हैं."
किसान नेताओं ने कहा कि, "यह ऐतिहासिक किसान संघर्ष, जिसने अपने उपर सरकार के हमले को चुनौती दी है, केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई नहीं है. यह देश को भारतीय और विदेशी कॉरपोरेट्स द्वारा, पूरी तरह से अपने कब्जे में लेने से बचाने की लड़ाई है. यह वास्तविक आत्म-निर्भर विकास का मार्ग है, जो अपने देशभक्त नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा करता है. इसने करोड़ों लोगों के विश्वास को प्रेरित किया है और आने वाले दिनों में भी ऐसा करती रहेगी."
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि, "देश की संपत्ति, जो अपने लोगों को रोजगार और सुरक्षा प्रदान करने के लिए है, जैसे रेलवे, पावर ट्रांसमिशन लाइन, प्राकृतिक गैस संसाधन, दूरसंचार परियोजनाएं, खाद्य भंडारण, बीमा, बैंक, आदि, को बेचे जा रहा है. 4 श्रम कोड के माध्यम से औद्योगिक श्रमिकों के मूल अधिकारों पर हमला किया जा रहा है. गरीबों के लिए कल्याण और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सब्सिडी और राशन पर निशाना साधा जा रहा है. आवश्यक वस्तुओं, विशेषकर ईंधन की कीमतों में भारी वृद्धि की जा रही है. सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है और इन क्षेत्रों के विकास में केवल कॉरपोरेट का वर्चस्व है."
HIGHLIGHTS
- किसान करेंगे 25 सितंबर को भारत बंद
- तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग
- मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर की एसकेएम रैली