कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन बुधवार को 56वें दिन में प्रवेश कर गया है. कड़ाके की सर्दी में दिल्ली के बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान आंदोलनरत हैं. इस बीच इस मसले का समाधान निकालने के लिए किसानों के साथ सरकार की बातचीत लगातार जारी है. अबतक नौ दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. कुछ उम्मीदों के साथ 10वें दौर की वार्ता किसानों और सरकार के बीच हो रही है, लेकिन लंच ब्रेक तक कोई समाधान नहीं निकला है.
सरकार और किसानों के बीच चल रही बैठक में लंच ब्रेक हो गया है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. किसानों ने एनआईए की नोटिस का विरोध जताया है. इस पर मंत्री जी ने कहा कि पता करेंगे. सरकार की ओर से किसानों के सामने संशोधन का विषय रखा गया, लेकिन किसानों ने तीनों कृषि कानून वापसी की मांग की है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चर्चा से सरकार भाग रही है.
वहीं, कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों की आपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गठित की गई कमेटी पर उठ रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कमेटी का काम किसानों की समस्याओं का समाधान निकालना है. कमेटी बिल की संवैधानिकता तय नहीं करेगी, ऐसे में किसानों को कमेटी से सामने अपनी बातें रखनी चाहिए.
ट्रैक्टर रैली पर दिल्ली पुलिस को फैसला लेना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर रैली पर पुलिस खुद फैसला ले. दिल्ली की सीमा में कौन आएगा और कौन नहीं यह देखना पुलिस का काम है. सीजेआई ने कहा कि इसमें कोर्ट के दखल की ज़रूरत नहीं है. हम इसको लेकर कोई आदेश पास नहीं करेंगे. आज हुई सुनवाई में प्रशांत भूषण और दुष्यन्त दवे भी उन किसान संगठनों की ओर से पेश हुए जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में पक्षकार बनाया था.
Source : News Nation Bureau