वामदलों से जुड़े किसान संगठनों, पूर्व सैनिकों और बड़ी तादाद में किसानों ने यहां गुरुवार को किसानों के मुद्दों को लेकर संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में शामिल किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में गलत जानकारी देकर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि सरकार एमएसपी और अपनी अन्य नीतियों पर लोगों को गलत जानकारी दे रही है।
'भारत छोड़ो आंदोलन' दिवस पर विरोध प्रदर्शन कर किसानों ने सरकार से बैंकों का कर्ज माफ करने ओर एम. एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग की, जिसमें फसलों का एमएसपी उनकी लागत का डेढ़गुना करने की सिफारिश की गई है।
प्रदर्शन में महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के प्रमुख किसान संगठनों ने हिस्सा लिया।
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने कहा, 'वह (मोदी) सौ फीसदी झूठ बोल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी खरीफ फसलों का एमएसपी 50 फीसदी बढ़ाने की बात कहकर किसानों को गुमराह कर रही है। यह गलत जानकारी है।'
मोल्ला ने कहा कि एमएसपी में वृद्धि सिर्फ किसानों के श्रम और खाद-बीज पर निवेश की लागत के आधार पर की गई है।
उन्होंने कहा, 'वृद्धि सही मायने में महज 13 फीसदी है और प्रधानमंत्री अपना वादा निभाने में विफल रहे हैं।'
मोल्ला ने कहा कि देश के करीब 25 राज्यों के 400 जिलों में लगभग 20 लाख लोग नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किए गए 'झूठे वादे' से बेहद खफा हैं। ऊपर से एमएसपी बढ़ाने के नाम पर सरकार के फरेब ने उनके गुस्से को और बढ़ा दिया है।
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पूर्व सैनिक संयुक्त मोर्चा ने भी 'वन रैंक वन पेंशन' स्कीम लागू करने में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। पूर्व सैनिक संगठन ने कहा कि देश में लगातार सैन्य बलों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है।
सेवानिवृत्त कर्नल आर.डी. शर्मा ने कहा, 'बीजेपी के सत्ता में आने के बाद महज 100 दिन के भीतर वन रैंक वन पेंशन लागू करने का वादा किया गया था। मगर, अब हमारे मसलों को नजरंदाज किया जा रहा है और वन रैंक वन पेंश की परिभाषा ही बदल दी गई है।'
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उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री कहते हैं, हमने वादा पूरा कर दिया, लेकिन हम तो इसने संघर्ष के बाद भी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।'
Source : IANS