दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान जस्टिस सजंय किशन कौल ने कहा कि हम किसानों के विरोध प्रदर्शन के अधिकार के खिलाफ नहीं हैं. मामला कोर्ट में पेडिंग रहते हुए भी वो विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं लेकिन इस तरह सड़क को बन्द नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि इसका कुछ समाधान निकलना चाहिए. सॉलिसीटर जनरल ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस विरोध प्रदर्शन का मकसद दरअसल किसान आंदोलन न होकर कुछ और है.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने 26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि एंट्री की इजाज़त देने का ये नतीजा हुआ. किसान संगठनों की ओर से अंडरटेकिंग दिए जाने के बावजूद हिंसा हुई. इस मामले में दुष्यन्त दवे किसान संगठन की ओर से पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि किसानों को रामलीला मैदान में न आने की इजाजत देकर बीजेपी ने रैली की. दुष्यन्त दवे ने आरोप लगाया कि हिंसा प्रायोजित थी. जिन पर लाल किले पर हिंसा का आरोप लगा, उन्हें ज़मानत भी मिल गई और सरकार को कोई एतराज भी नहीं हुआ.
दुष्यंत दवे ने कहा कि प्रदर्शन का एकमात्र मकसद किसान आंदोलन की मुख़ालफ़त है. सॉलिसीटर जनरल किसानों पर आरोप लगा रहे हैं. सड़कें किसानों की वजह से नहीं,पुलिस के किये गए इंतज़ाम के चलते हुई हैं. पुलिस चाहती है कि ये धारणा बने कि किसान रोड बन्द कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सड़क खाली हो जाएगी. आप प्रदर्शनकारियों को रामलीला मैदान आने दीजिए. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा लगता कुछ लोगों का स्थायी घर रामलीला मैदान में ही बना देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त दिया. मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी.
Source : Arvind Singh