गाजीपुर बॉर्डर पर किसान ने की खुदकुशी, सुसाइड नोट में लिखा- मेरी शहादत बेकार ना जाए

केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है.

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Dalchand Kumar
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प्रतीकात्मक तस्वीर( Photo Credit : फाइल फोटो)

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केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. कई दौर की बातचीत विफल होने के बाद किसानों के सब्र का बांध टूटता जा रहा है. कानूनों के विरोध में पिछले 38 दिन से  रहे आंदोलन के दौरान दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. किसान ने धरना स्थल पर लगाये गए शौचालय में फांसी लगाकर जान दे दी है. हालांकि अभी तक आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

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मृतक किसान का नाम कश्मीर सिंह बताया जा रहा है, जोकि बिलासपुर का रहने वाला है. सुसाइड करने से पहले मृतक कश्मीर सिंह ने सुसाइड नोट छोड़ा है. इस सुसाइड नोट में कश्मीर सिंह ने आंदोलन कर रहे किसानों से बड़ी अपील की है. मृतक के सामने सुसाइड नोट में लिखा कि उसकी शहादत बेकार ना जाए. इसके अलावा मृतक कश्मीर सिंह ने अपनी अंतिम इच्छा भी लिखी है. सुसाइड से पहले कश्मीर सिंह ने लिखा कि यूपी दिल्ली बॉर्डर पर ही उसका अंतिम संस्कार किया जाए.

इससे पहले शुक्रवार को भी गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश के बागपत जिला स्थित भागवनपुर नांगल गांव के एक किसान की मौत हो गई. किसान के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव भेज दिया गया है. बागपत जिला स्थित भगवानपुर नांगल गांव के गलतान सिंह गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहे धरना-प्रदर्शन में शामिल थे. शुक्रवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में उनकी मौत हो गई. दिवंगत गलतान सिंह करीब 57 साल के थे.

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उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से ही किसान डेरा डाले हुए हैं. वे तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने के साथ-साथ न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं. हालांकि सरकार ने उनकी चार प्रमुख मांगों में पराली दहन से संबंधित अध्यादेश के तहत भारी जुर्माना और जेल की सजा के प्रावधान से मुक्त करने और बिजली सब्सिडी से जुड़ी उनकी मांगों को बुधवार को हुई बैठक में मान ली है और अन्य दो मांगों पर किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच अगली दौर की वार्ता चार जनवरी को होगी.

Source : News Nation Bureau

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