केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा थम नहीं रहा है. तो राजनीतिक दल भी किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं. केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 'दिल्ली चलो' मार्च के तहत 26 नवंबर को 5 राजमार्गों के रास्ते राष्ट्रीय राजधानी पहुंचेंगे. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान, केरल और पंजाब के किसान संगठनों ने 26 और 27 नवंबर को 'दिल्ली मार्च' का आह्वान किया है. हालांकि किसानों के मार्च को देखते हुए हरियाणा-पंजाब बॉर्डर को दो दिन बंद करने का फैसला लिया गया है.
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‘दिल्ली मार्च’ के पहले हरियाणा में कुछ किसानों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया है. जिस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने किसानों को हिरासत में लिए जाने के कदम को शर्मनाक बताया. कांग्रेस की मांग है कि किसानों को दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए. वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के राष्ट्रीय कार्य समूह ने हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा किए गए दमन की निंदा की. समिति ने दावा किया कि मंगलवार सुबह से 31 किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया है.
उधर, किसानों के मार्च को देखते हुए हरियाणा सरकार ने पंजाब के साथ लगने वाली राज्य की सीमाएं 26 और 27 नवंबर को बंद रखने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पंजाब के साथ लगने वाली सीमाएं दो दिनों के लिए सील रहेगी।’’ उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस सख्त कदम उठाएगी. इस बीच हरियाणा पुलिस ने भी जनता के लिए परामर्श जारी कर उनसे अपने यात्रा कार्यक्रमों में संशोधन करने की अपील की है.
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इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने कहा है कि अगर कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के दौरान प्रदर्शनकारी किसान किसी सभा के लिए नगर में आते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने ट्विटर पर कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की किसी भी सभा के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है. पुलिस ने कहा कि अगर इसके बाद भी प्रदर्शनकारी दिल्ली में आते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
वहीं केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में 26 नवंबर से शुरू होने वाले आंदोलन के लिए जाने वाले किसानों को हरियाणा में नहीं घुसने देने के फैसले पर किसान यूनियनों ने राजमार्गो को अवरुद्ध करने की चेतावनी दी है. भारतीय किसान यूनियन (बेकेयू) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब के किसानों के लिए सीमाओं को सील कर दिया है, जिससे यह साबित हो रहा है कि पंजाब भारत का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा कि हम शांतिपूर्वक हिमाचल और जम्मू एवं कश्मीर जाने वाले मार्गों को अवरुद्ध करेंगे. सड़कों पर धरना शुरू करेंगे.
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हालांकि केंद्र सरकार किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि नए कानून उनकी आय बढ़ाने और बिचौलियों से मुक्त करने में मदद करेंगे, मगर किसानों का कहना है कि इससे उन्हें कोई लाभ नहीं होने वाला है. उन्होंने इसे काला कानून करार दिया है. केंद्र ने मतभेदों को सुलझाने के लिए तीन दिसंबर को मंत्रिस्तरीय वार्ता के दूसरे दौर के लिए किसानों की यूनियनों को दिल्ली आमंत्रित किया है.
Source : News Nation Bureau