तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से ज्यादा समय से जारी किसान आंदोलन गुरुवार को औपचारिक तौर पर स्थगित कर दिया गया. यानी देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 378 दिन से चल रहा किसान आंदोलन खत्म कर दिया गया. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया. किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन कर रहे किसान 11 दिसंबर को घर लौट जाएंगे. 10 दिसंबर को सीडीएस जनरल बिपिन रावत की अंतिम यात्रा की वजह से किसानों के वापस लौटने का कार्यक्रम एक दिन बाद रखा गया है. किसान नेताओं ने तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश में दिवंगत हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.
इस मौके पर किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं. हालांकि, यह मोर्चे का अंत नहीं है. हमने इसे स्थगित किया है. 15 जनवरी को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की फिर मीटिंग होगी. जिसमें आंदोलन की समीक्षा करेंगे. आंदोलन खत्म सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं. इसके अलावा वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है.
Farmers start removing tents from their protest site in Singhu on Delhi-Haryana
— ANI (@ANI) December 9, 2021
"We are preparing to leave for our homes, but the final decision will be taken by Samyukt Kisan Morcha," a farmer says pic.twitter.com/rzRjPkPfE1
पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने भी बनाई रणनीति
किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पंजाब के 32 किसान संगठनों ने भी अपना कार्यक्रम भी बना लिया है. इसके अनुसार वह 11 दिसंबर को दिल्ली से पंजाब के लिए फतेह मार्च का आयोजन करेंगे. सिंघु और टिकरी बॉर्डर से किसान एक साथ पंजाब के लिए वापस रवाना होंगे. 13 दिसंबर को पंजाब के 32 किसान संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्रीदरबार साहिब यानी स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकेंगे. उसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब में करीब 116 जगहों पर लगे मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे. हरियाणा के 28 किसान संगठनों ने भी अलग से रणनीति बना चुके हैं.
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किसान नेताओं और सरकार के बीच इन मुद्दों पर सहमति
MSP पर केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी. इसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे. अभी जिन फसलों पर MSP मिल रही है, वह जारी रहेगी. MSP पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा. हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार किसान आंदोलन के दौरान हुई केस की वापसी पर सहमत हो गई है. दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे की ओर से दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे.
मुआवजे पर भी किसान नेताओं और उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार में सहमति बन गई है. पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी मरने वाले किसानों को 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा. किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है. बिजली संशोधन बिल को भी सरकार सीधे संसद में नहीं लेकर नहीं जाएगी. पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से व्यापक चर्चा होगी. प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी. जिसमें किसानों को कैद नहीं, लेकिन जुर्माने का प्रावधान है. केंद्र सरकार इसे भी हटाएगी.
HIGHLIGHTS
- MSP पर केंद्र सरकार की कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे
- 13 दिसंबर को पंजाब के 32 किसान संगठनों के नेता श्रीदरबार साहिब में मत्था टेकेंगे
- 15 जनवरी को फिर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आंदोलन की समीक्षा होगी