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किसान संगठनों ने सरकार के साथ बातचीत के लिए रखी ये शर्तें

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे किसानों के विरोध की बढ़ती ताकत से बेहद भयभीत है.

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Sunil Chaurasia
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Farmers Protest

किसान संगठनों ने सरकार के साथ बातचीत के लिए रखी ये शर्तें( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार 69वें दिन भी जारी है. दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे आंदोलनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. आंदोलनकारी किसान संगठनों ने 6 फरवरी को देशभर में चक्काजाम करने का ऐलान किया है, जिसे देखते हुए दिल्ली पुलिस अलर्ट हो गई है. प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए पुलिस ने तरह-तरह के इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं.

इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बलबीर सिंह राजेवाल की अध्यक्षता में मंगलवार सुबह एक प्रेस रिलीज जारी की है. संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस रिलीज में कहा कि किसानों के खिलाफ 'उत्पीड़न' किया जा रहा है और जब तक इस पर रोक नहीं लगाई जाएगी तब तक वे सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं करेंगे. SKM ने किसान आंदोलन से जुड़ी कई मांगे की हैं, जिनमें उन्होंने रास्ते बंद करना, इंटरनेट बंद करना, ट्रेनों के रूट बदलने जैसी तमाम बातों का जिक्र किया है.

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SKM ने अपनी ताजा प्रेस रिलीज में लिखा, ''सयुंक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया कि जब तक पुलिस और प्रशासन द्वारा किसानों के आंदोलन के खिलाफ विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न को तुरंत नहीं रोका जाता है, तब तक सरकार के साथ कोई औपचारिक बातचीत नहीं हो सकती है. इसमें ट्रेंच-खुदाई, सड़कों पर खड्डे, कंटीले तारों की बाड़ लगाना, यहां तक ​​कि आंतरिक छोटी सड़कों को बंद करना, इंटरनेट सेवाओं को रोकना, बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं के माध्यम से विरोध प्रदर्शन रोकना, जरूरी सुविधा को रोकना, ट्रेनों के रूट बदलना और रोकना, पत्रकारों की गिरफ्तारी और ट्विटर अकाउंट बंद करना आदि शामिल है.''

''ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार विभिन्न राज्यों में चल रहे विरोध की बढ़ती ताकत से बेहद भयभीत है. एसकेएम ने विभिन्न थानों में कई प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और हिरासत और किसानों के वाहनों को जब्त करने की कड़ी निंदा की. सैंकड़ो लोगों के लापता होने की सूचना है और यह हमारे लिए बहुत चिंता का विषय है. यह सुनिश्चित करने के लिए कि अधिक लोग शामिल न हों, मोर्चा के समन्वित कामकाज में परेशानी हो, हिंसा की छवियां पेश हो ताकि आम लोग इस आंदोलन से दूर रहें और मनगढ़ंत आरोपों और गिरफ्तारी के माध्यम से प्रदर्शनकारियों पर नकेल कस सके. वहीं असल अपराधी बिना किसी गिरफ्तारी या कठोर कार्रवाई के बाहर है, जो यह साबित करता है कि सरकार किसानों के आंदोलन को खत्म करना चाहती है.''

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संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी प्रेस रिलीज में आगे कहा, ''सरकार की ओर से बातचीत का कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वार्ता सभी किसानों की बिना शर्त रिहाई के बाद ही होगी, जो अवैध रूप से पुलिस हिरासत में लिए गए हैं. आज दिल्ली पुलिस ने 122 आंदोलनकारियों की सूची जारी की है, जिन्हें पुलिस हिरासत में लिया गया था. हम उनकी तत्काल रिहाई की मांग करते हैं. हम उन पत्रकारों पर हमलों और गिरफ्तारी की भी निंदा करते हैं जो लगातार आंदोलन को कवर कर रहे हैं.''

''पूरे देश में 6 फरवरी को दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच सभी राजमार्गों पर चक्का जाम किया जाएगा. इंटरनेट बंद होने के साथ, हम किसान आंदोलन से संबंधित कई ट्विटर एकाउंट को बंद करने की सरकारी कोशिशों की कड़ी निंदा करते हैं. इन अकाउंट को बंद करना, जो सरकार के झूठे प्रचार से निपटने और जनता को वास्तविक जानकारी देने के उद्देश्य से चल रहे हैं, लोकतंत्र पर सीधा हमला है.''

''कई सीमाओं पर पुलिस अपने बैरिकेड्स को मजबूत कर रही है. पुलिस बल सड़क पर सीमेंटेड बैरिकेड्स, कांटेदार तार की बाड़ और खड्डों के साथ सड़कों को अवरुद्ध कर रहे हैं. एक तरफ, प्रधानमंत्री कहते हैं कि समाधान केवल एक कॉल दूर है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार विरोध स्थलों को बंद करने, सुविधाओं में कटौती करने और जनता को असुविधा करने की पूरी कोशिश कर रही है. एसकेएम द्वारा अलग-अलग राज्यों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक कानूनी टीम का गठन किया गया है, जिसका नेतृत्व प्रेम सिंह भंगू कर रहे है. यह कमेटी अब लापता व्यक्तियों, गिरफ्तार व्यक्तियों और जब्त वाहनों के मामले को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाएगी.''

Source : News Nation Bureau

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