Farmers Protest: पिछले करीब ढाई महीने से तीन कृषि कानूनों के विरोध किसान दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं अब इस मामले में कई अंतर्राष्ट्रीय सेलेब्रिटीज के ट्वीट करने के बाद मामले को लेकर काफी बहस छिड़ गई है. वहीं इस दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक टूलकिट (Toolkit) को लेकर भी विवाद हो गया है. सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बॉलीवुड, नेता और क्रिकेट जगत से जुड़े लोग टूलकिट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर टूलकिट पर विवाद बढ़ता देख सुरक्षा एजेंसियां भी चौकन्नी हो गई हैं.
टूलकिट में कई वेबसाइट, ईमेल आईडी का है जिक्र
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे टूलकिट में कुछ वेबसाइट के साथ-साथ ईमेल आईडी और ट्विटर हैंडल के नाम भी सामने आए हैं. इस टूलकिट में मुख्य रूप से www.AskIndiaWhy.com और www.asovereignworld.com वेबसाइट का जिक्र है.
चर्चा में क्यों आया टूलकिट
दरअसल इस टूलकिट की शुरूआत तब हुई तब पिछले दिनों चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग के एक ट्वीट से हुई. ग्रेटा ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किया. इसके साथ ही उन्होंने एक टूलकिट भी शेयर की. इसके सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर हंगामा शुरू हो गया. इसी बीच ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट किया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया. ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट शेयर की उसमें किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई है.
बता दें कि पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग (Greta Thunberg) ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने गूगल डॉक्यूमेंट्स के कुछ पेज शेयर किया थे. आपको बता दें कि इस ट्वीट किए गए डॉक्यूमेंट्स में भारत सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कैसे विरोध करना है या एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि किस तरह से वैश्विक स्तर भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया जाए. इसकी पूरी रणनीति बनाई गई है. उनके इस ट्वीट के बाद ही लोगों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हों गईं और देखते ही देखते वो सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगीं. विवाद बढ़ता देख ग्रेटा थुनबर्ग ने ये ट्वीट्स डिलीट कर दिए थे. बता दें कि ग्रेटा थनबर्ग ने दो एक्शन प्लान को लेकर ट्वीट किए थे. एक एक्शन प्लान में 26 जनवरी तक के एक्शन प्लान का भी जिक्र किया गया था.
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन किसानों से जुड़े खबरों और लेख की भरमार
भारत में कृषि कानूनों के खिलाफ दुनियाभर में माहौल बनाने के लिए कनाडा के एक एनजीओ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) का नाम भी सामने आया है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का एक डॉक्यूमेंट भी सामने आया है. फाउंडेशन की वेबसाइट के ऊपर किसानों से जुड़े खबरों और लेखों की भरमार है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि भारत सरकार ने सितंबर 2020 में एक विधेयक पारित किया, जो देश में किसानों की आजीविका के लिए हानिकारक होगा. कृषि एक ऐसा उद्योग जो भारत के लगभग 50 फीसदी लोगों को रोजगार मुहैया कराता है.
इस लेख में लिखा गया है कि लोगों को पुलिस की क्रूरता, सेंसरशिप और राज्य प्रायोजित हिंसा का सामना करना पड़ रहा है. लेख में लिखा है कि भारत के संविधान को लंबे समय से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के उदाहरण के रूप में मनाया जाता रहा है, लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर पूरी दुनिया ने एक कथित लोकतांत्रिक सरकार को अपने ही लोगों मारते हुए देखा गया है. लेख में आगे लिखा है कि भारत तेजी से एक फासीवादी, हिंसक दमनकारी शासन की ओर बढ़ रहा है.