कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही है. देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए एक समिति गठित करने की सरकार की पेशकश को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया है. हालांकि, दोनों पक्ष गुरुवार यानि 3 दिसंबर को फिर से बैठक को लेकर सहमत हुए हैं. सरकार की ओर से कानूनों को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया गया है.
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सरकार ने किसानों संगठनों को नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को उजागर करने और गुरुवार को होने वाले वार्ता के अगले दौर से पहले बुधवार को सौंपने को कहा है. वहीं किसान संगठनों ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जातीं हैं तब तक देश भर में आंदोलन तेज किया जाएगा. बैठक में 35 किसान नेताओं ने भाग लिया था. वहीं किसानों के आंदोलन के बीच कांग्रेस समेत दो चेहरे विपक्ष के रूप में सामने आए हैं. कांग्रेस जहां खुलकर किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है वहीं दूसरी ओर दिल्ली में सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी भी किसान आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दे रही है. कांग्रेस किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार पर लगातार हमलावर है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा है कि अन्नदाता सड़कों-मैदानों में धरना दे रहे हैं और टीवी पर झूठा भाषण दिया जा रहा है. किसान की मेहनत का हम सब पर कर्ज़ है. ये कर्ज़ उन्हें न्याय और हक़ देकर ही उतरेगा, न कि उन्हें दुत्कार कर, लाठियां मारकर और आंसू गैस चलाकर. जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए.
अन्नदाता सड़कों-मैदानों में धरना दे रहे हैं,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 1, 2020
और
‘झूठ’ टीवी पर भाषण!
किसान की मेहनत का हम सब पर क़र्ज़ है।
ये क़र्ज़ उन्हें न्याय और हक़ देकर ही उतरेगा, न कि उन्हें दुत्कार कर, लाठियाँ मारकर और आंसू गैस चलाकर।
जागिए, अहंकार की कुर्सी से उतरकर सोचिए और किसान का अधिकार दीजिए।
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दिल्ली सरकार ने एक कृषि कानून की अधिसूचना जारी की
दिल्ली सरकार ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों में से एक की अधिसूचना जारी कर दी है जबकि बाकी दो अन्य पर विचार किया जा रहा है. वहीं दिल्ली सरकार के इस कदम को लेकर विपक्ष ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना साधा है. आप ने एक बयान में कहा है कि ये कानून पहले ही लोकसभा, राज्यसभा में पारित हो चुके हैं और राष्ट्रपति भी हस्ताक्षर कर चुके हैं. अब ये कानून पूरे देश में हैं. किसी भी राज्य के पास स्वतंत्र रूप से इन्हें लागू करने अथवा खारिज करने की शक्ति नहीं है. मोदी सरकार ने इन्हें पारित किया है और केवल वे ही इन्हें वापस ले सकती है. दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020 को 23 नवंबर को अधिसूचित किया गया था. उन्होंने कहा कि बाकी दो कानूनों पर दिल्ली सरकार के विकास विभाग द्वारा विचार किया जा रहा है. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने कहा कि अधिसूचना के तहत किसान अपनी फसल मंडी के बाहर सहित कहीं भी बेच सकते हैं. दिल्ली में कई साल पहले से ही फलों और सब्जियों की बिक्री विनियमन मुक्त थी और अब अनाज के लिए भी यह लागू हो गया है. हालांकि, पार्टी ने नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की किसानों की मांग का खुले तौर पर समर्थन किया है. अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2014 में फलों और सब्जियों को विनियमन मुक्त किया गया था, जिसके चलते कृषि उपज विपणन समिति के प्रबंधन वाली मंडियों के बाहर भी उत्पाद बेचे जा सकते थे.
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उन्होंने कहा कि अधिसूचित कानून के बाद अब इस सूची में अनाज और पोल्ट्री भी शामिल हो गए हैं. नए कानून को अधिसूचित करने के साथ ही किसानों के आंदोलन का समर्थन करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ निशाना साधा है. आप ने एक बयान में कहा कि भाजपा को समझ नहीं आ रहा कि किसानों द्वारा जारी देशव्यापी आंदोलन से कैसे निपटें इसलिए हताशा में जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर है और आप उसका समर्थन करती है. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी आप पर वार करते हुए कहा कि ''संकट के समय'' में पार्टी ने अधिसूचना जारी की है जबकि वह किसानों के साथ खड़े होने का ''दिखावा'' कर रहे हैं. सिंह के बयान के बाद आप ने पलटवार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री पर भाजपा से हाथ मिलाने का आरोप लगाते हुए उन्हें ''भाजपा का मुख्यमंत्री'' करार दिया.
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सैकड़ों की संख्या में किसान चिल्ला बार्डर पर जमे, जंतर मंतर पहुंचने पर अड़े
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने केन्द्र सरकार से किसान आयोग के गठन की मांग की साथ ही कहा कि नौकरशाहों और नेताओं को इससे दूर रखा जाए. नए कृषि कानूनों के खिलाफ सैकड़ों की संख्या में अपने समर्थकों के साथ सिंह कल शाम से ही चिल्ला बार्डर पर जमे हुए हैं. वह संसद और जंतर मंतर जाने की मांग कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने अवरोध लगा कर किसानों को रोक दिया है. किसान देर रात से ही धरना स्थल पर रागिनी और गीत-संगीत का कार्यक्रम कर हैं, तथा कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे हैं. किसानों ने धरना स्थल पर ही खाना बनाने की व्यवस्था कर रखी है.
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सुबह धरना स्थल पर किसानों ने हवन किया, तथा केन्द्र सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सदबुद्धि देने की ईश्वर से प्रार्थना की. पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को सिंह के नेतृत्व अलीगढ़, हाथरस, आगरा और गौतमबुद्ध नगर जिले के सैकड़ों किसान नोएडा में चिल्ला बॉर्डर पहुंच गए. किसानों ने बॉर्डर पर जाम लगा दिया है. वे मुख्य मार्ग पर अपने ट्रैक्टर ट्रॉली खड़े करके धरना दे रहे हैं. किसानों का कहना है कि वे दिल्ली में जंतर मंतर पर जाकर धरना देना चाहते हैं, अगर पुलिस उन्हें नहीं जाने देगी तो यहीं सड़क पर धरना देंगे लेकिन जब तक जंतर मंतर पर जाने की इजाजत नहीं मिलेगी, रास्ता नहीं छोड़ेंगे. (इनपुट भाषा)