Farmers Protest: केंद्र और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और वे संबंधित कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए कल होने वाली अगले दौर की वार्ता के लिए 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.
सरकार से बातचीत के मद्देनजर किसानों का ट्रैक्टर मार्च स्थगित
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने बुधवार को सरकार के साथ होने वाली बातचीत के मद्देनजर अपना प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च बृहस्पतिवार तक स्थगित कर दिया है. किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत के लिए सहमति जताई, हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके पर चर्चा करने को बातचीत के एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए.
इससे पहले, 40 किसान संगठनों के समूह ’संयुक्त किसान मोर्चा’ ने घोषणा की थी कि 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहाड़ ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सरकार के साथ बातचीत को देखते हुए हमने ट्रैक्टर मार्च टालने का फैसला किया है. अब किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ ये मार्च 31 दिसंबर को निकालेंगे.’’
उन्होंने कहा कि किसान नेता बुधवार को सरकार के साथ बातचीत करेंगे, ऐसे में किसान संगठनों ने यह मार्च स्थगित करने का फैसला किया. पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य हिस्सों से आए हजारों किसान दिल्ली के निकट सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले 31 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए.
इस साल सितंबर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे. दूसरी तरफ, प्रदर्शनकारी किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म होने का रास्ता खुलेगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी.
Source : News Nation Bureau