तीनों नए कृषि कानूनों की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन 70वें दिन में प्रवेश कर गया है. किसान और सरकार के बीच अभी भी गतिरोध बरकरार है. दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत बुधवार को हरियाणा के जींद में होने वाली महापंचायत में शामिल होने वाले हैं. इस दौरान हरियाणा के किसान और खाप मिलकर आगे आंदोलन की रूप रेखा तय करेंगे. राकेश टिकैत जींद में कंडेला खाप के ऐतिहासिक चबूतरे पर जनसभा को संबोधित करेंगे. गौरतलब है कि कंडेला वही गांव है, जिसने राकेश टिकैत के आंसुओं के बाद सबसे पहले रोड जाम कर दिया और दिल्ली कूच कर आंदोलन को नई धार दी थी.
सरकार की प्रस्तावों को किसान संगठनों ने मानने से इनकार कर दिया है. किसान संगठनों का साफ कहना है कि जब तक सरकार इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. दूसरी तरफ संसद में भी इसे लेकर गतिरोध बरकरार है. मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कृषि कानून के मुद्दे पर हंगामे की भेंट चढ़ गई. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान हंगामा करने की पहले भी परंपरा नहीं रही है. अब जो विपक्ष कर रहा है वो भी ठीक नहीं है. अगर उनको किसी भी मुद्दे पर चर्चा करनी है तो राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान वह अपनी बात रख सकते हैं. सरकार उस पर जवाब देगी. जितना टाइम चाहिए हम दे सकते हैं. लेकिन सबसे पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा होनी चाहिए.
केसी त्यागी को मध्यस्थ बनाने की चर्चा
किसान संयुक्त मोर्चा के नेता धर्मेंद्र मलिक ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी को सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करने की बात कही है. लेकिन केसी त्यागी ने कहा कि इसके बारे सबसे पहले वो पार्टी प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विचार विमर्श करेंगे. केसी त्यागी ने यह भी कहा कि उनके हिसाब से नीतीश कुमार या शरद पवार को सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए.
Source : News Nation Bureau