Farmers Protest: कृषि कानून (Agriculture Bill) को लेकर किसान संगठनों की आपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गठित की गई कमेटी पर उठ रहे सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कमेटी का काम किसानों की समस्याओं का समाधान निकालना है. कमेटी बिल की संवैधानिकता तय नहीं करेगी, ऐसे में किसानों को कमेटी से सामने अपनी बातें रखनी चाहिए.
ट्रैक्टर रैली पर दिल्ली पुलिस ले फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान साफ कर दिया कि 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर रैली पर पुलिस खुद फैसला ले. दिल्ली की सीमा में कौन आएगा और कौन नहीं यह देखना पुलिस का काम है. सीजेआई ने कहा कि इसमें कोर्ट के दखल की ज़रूरत नहीं है. हम इसको लेकर कोई आदेश पास नहीं करेंगे. आज हुई सुनवाई में प्रशांत भूषण और दुष्यन्त दवे भी उन किसान संगठनों की ओर से पेश हुए जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआत में पक्षकार बनाया था.
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सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे आठ किसान यूनियन की ओर से पेश हो रहे हैं. उन्होंने ये साफ किया कि उनके किसान संगठन कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. वकील दुष्यंत दवे ने इस पर ऐतराज जाहिर किया कि बिना उनकी मौजूदगी के उस दिन कोर्ट ने आदेश पास किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि जब मामला सुनवाई के लिए लगा था ,आपको पेश होना चाहिए था.
कमेटी पर उठ रहे सवालों पर की आपत्ति
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कमेटी के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों की आपत्ति पर नाराजगी जाहिर की. सीजेआई ने कहा कि आप बेवजह आशंका जाहिर कर रहे हैं. क्या किसी सदस्य की अपनी कोई राय नहीं हो सकती. यहां तक कि जजों की भी अपनी राय होती है. अगर किसी ने कोई राय व्यक्त की है तो क्या वो पक्षपाती हो गया? आपको कमेटी के सामने पेश नहीं होना तो मत होइये, मगर किसी को यूं बदनाम मत कीजिए. आप कोर्ट की निष्ठा पर यूं सवाल खड़े मत कीजिए.
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमने लोकहित को देखते हुए दखल का फैसला लिया था. जनता की राय की अपनी अहमियत है पर इसका इस्तेमाल किसी को बदनाम करने के लिय नहीं होना चाहिए. हमें दुख है ये देखकर कि कैसे कमेटी के सदस्यों को लेकर बातें कही गई. कैसे इस संबंध में मीडिया रिपोर्टिंग की गई. हम साफ कर चुके है कि कमेटी कोई क़ानून की वैधता पर फैसला नहीं लेने जा रही है, सिर्फ इस न्यायिक प्रकिया का एक हिस्सा है.
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कमेटी के सदस्य अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग कमेटी के सदस्य है, वो कृषि क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं. कमेटी बनाने का मकसद ही ये था कि वो दोनो पक्षों की बात सुने, उससे कोर्ट को अवगत कराएं. कमेटी को कृषि क़ानून की वैधता पर फैसला नहीं लेना था. अब एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया. उनके जगह रिक्त हुए पद पर भरने की एप्लिकेशन पर नोटिस जारी करते हैं. सीजेआई ने प्रशांत भूषण से कहा कि सिर्फ ये कहने भर से आपके किसान संगठन कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे, काम नहीं चलेगा. आप उन्हें शांतिपूर्ण समाधान के लिए समझाएं. इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि किसान लोकतांत्रिक तरीके से दबाव बना रहे हैं. उन्हें डर है कि अगर वो फिलहाल उठ जाएं और कल आपने कानून को वैधानिक तौर पर सही करार दिया, स्टे के आदेश को हटा लिया तो उनका क्या होगा.
आज की सुनवाई की बड़ी बातें:-
- कोर्ट ने कमेटी के सदस्यों पर सवाल उठाए जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की.
- कोर्ट ने कहा - जो लोग उनके सामने पेश नहीं जाना चाहते मत जाए, पर लोगों को ऐसे ब्रांड करने की ज़रूरत नहीं.
- कोर्ट के रुख से साफ है कि कमेटी के सदस्य नहीं बदले जायेंगे, सिर्फ भूपिंदर मान की जगह एक नए सदस्य को रखा जाएगा.
- कोर्ट ने साफ किया कि कमेटी को कोई फैसला लेने का अधिकार नहीं दिया हैं. उसकी जिम्मेदारी दोनों पक्षों से बात कर कोर्ट को रिपोर्ट देनी है.
- ट्रैक्टर मार्च पर कोर्ट ने कहा - ये पुलिस के अधिकार क्षेत्र का मसला हैं. वो तय करें कि किसे दिल्ली में आने दें या नहीं. कोर्ट इस पर कोई आदेश नहीं देगा.
- दुष्यन्त दवे और प्रशान्त भूषण आठ किसान संगठनों की ओर से पेश हुए. उन्होंने साफ किया कि उनके सगठन कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे.
- कोर्ट ने भूषण से कहा कि आप किसानों को शांति रखने के लिए समझाए.भूषण ने कहा कि मैंने उन्हें शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए समझाया है. वो दिल्ली के बाहरी इलाके में सिर्फ गणतंत्र दिवस मनाने के लिए ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। शांति भंग नहीं करना चाहते.
Source : News Nation Bureau