Farmer Protest: न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी समेत अपनी कई मांगों को लेकर दिल्ली पहुंच रहे हजारों किसानों ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वाण किया है. किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने दिल्ली के सभी बॉर्डर को सील कर दिया है. इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं. पुलिस ने साफ कर दिया है कि किसानों की आड़ में उपद्रवियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. अगर कोई भी हिसंक घटना हुई तो पुलिस उससे सख्ती से निपटेगी. वहीं, किसान आंदोलन को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया सामने आई है.
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बीकेयू के राकेश टिकैत का बयान
किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह मार्च किसान यूनियन की तरफ से कॉल किया गया है. ऐसे में अगर किसानों के साथ कुछ भी अन्याय हुआ तो पूरा देश उनके समर्थन में उठ खड़ा होगा. राकेश टिकैत ने कहा कि ना हमसे किसान दूर है और न दिल्ली दूर है. हम सबकी मांगें एक हैं. कर्ज माफी, एम एस स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून लागू करना और फसलों के वाजिब दाम तय करना आदि. आपको बता दें कि राकेश टिकैत इस बार किसान आंदोलन में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. जबकि 2020 के किसान प्रोटेस्ट में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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क्या हैं किसानों की मांगें-
- किसानों की सभी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीदी जाएं. साथ ही एमएसपी की अनिवार्यता को लेकर कानून बनाया जाए और एम एस स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए.
- सरकार किसानों और श्रमिकों के सभी लोन माफ करे
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को देशभर में फिर से लागू किया जाए. इसके साथ ही भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित समहमति और कलेक्टर भाव से चार गुना ज्यादा मुआवजे की व्यवस्था की जाए.
- लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सजा मिले
- इसके साथ ही सभी मुक्त व्यापार समझौतों (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर रोक लगाई जाए.
- किसानों और खेतों में काम करने वाले मजदूरों को पेंशन दी जाए.
- तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए.
- बिजली संशोधन बिल 2020 को कैंसिल किया जाए
- मनरेगा में हर साल दो सौ दिन की रोजगार गारंटी, 700 रुपए मजदूरी भत्ता की व्यवस्था और साथ ही मनरेगा को खेती किसानी से जोड़ा जाए.
- नकली कीटनाशक दवाइंयां, बीज और खाद बनाने वाली कंपनियों को दंडित किया जाए और जुर्माने का प्रावधान हो. इसके साथ ही बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए.
- मसोलों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाए.
- इसके अलावा संविधान की पांचवीं सूची को तुरंत लागू किया जाए.
Source : News Nation Bureau