कृषि कानून व अन्य मांगों पर किसान और सरकार के बीच सहमति के बाद आंदोलन स्थगित तो हुआ, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को लेकर नाराजगी व्यक्त की है. मोर्चा की हुई समीक्षा बैठक में किसानों ने आगे की रणनीति बताते हुए कुछ बड़े फैसले किए हैं. इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के सभी नेता शामिल रहे. बैठक के बाद किसानों ने यह फैसला लिया है कि सरकार ने अभी तक हमारी मांगों पर काम करना शुरू नहीं किया है इसलिए 31 जनवरी को देशभर के जिलों, शहरों और ब्लॉक में 'वायदा खिलाफी दिवस' मनाया जाएगा, साथ ही सरकार के खिलाफ पुतले भी फूंके जाएंगे.
वहीं 1 फरवरी से उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड चुनाव में संयुक्त किसान मोर्चा मिशन यूपी की शुरूआत करेगा. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता युद्धवीर सिंह ने साफ कर दिया है कि यदि 31 जनवरी तक किसानों को किये गए वायदों को पूरा नहीं किया गया, तो 1 फरवरी से मिशन यूपी और उत्तराखंड शुरू किया जाएगा. इसके अलावा किसानों ने लखीमपुर खीरी मामले के ऊपर भी बैठक में चर्चा की है. किसानों की नाराजगी है कि सरकार ने मंत्री को अभी तक बर्खास्त नहीं किया, क्योंकि सरकार को वोट बैंक की चिंता है, वहीं पीड़ित किसानों के ऊपर 302 लगाकर जेलों में डाला गया है.
उन्होंने आगे बताया कि इसलिए 21 जनवरी को राकेश टिकैत के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल लखीमपुर खीरी के लिए रवाना होगा. इसके बाद पीड़ितो, अधिकारियों से भी मुलाकात करेगा. इसके अलावा यदि इस मामले पर सुनवाई नहीं होती तो वहीं से पक्का मोर्चा लगाने की शुरूआत की जाएगी और तब तक वह मोर्चा रहेगा जब तक न्याय नहीं मिलता. दरअसल कृषि कानून को रद्द होने के बाद कुछ अन्य मांगों पर सरकार के साथ किसानों को सहमति बनी जिसके बाद किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को खाली करने का बड़ा फैसला किया था. वहीं किसानों ने यह ऐलान किया था कि 15 जनवरी को सरकार और किसानों के समझौते पर सरकार ने क्या क्या फैसला लिया इसकी समीक्षा करने के लिए बैठक की जाएगी.
HIGHLIGHTS
- सरकार ने मांगों पर बनी सहमति पर नहीं शुरू किया काम
- लखीमपुर खीरी मामले में नहीं मिल रहा न्याय, हो रही देरी
- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में एंटी सरकार मिशन की शुरुआत