नेशनल कांफ्रेंस (NC) प्रमुख फारूख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) सात महीने नजरबंदी के बाद बाहर निकले. इसके साथ ही उन्होंने बाकी नजरबंद नेताओं की रिहाई के लिए मांग की. उन्होंने कहा कि इससे पहले की राजनीति हमें अलग करे हमसब एकजुट होकर केंद्र सरकार से बाकी नेताओं को रिहा करने की मांग करे.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान फारुख अब्दुल्ला ने कहा, 'हम सब चाहते हैं कि सभी नजरबंद लोगों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए. जो लोग जम्मू-कश्मीर (Jammu and kashmir) के बाहर कैद हैं उन्हें जल्द से जल्द यहां लाया जाए. यह एक मानवीय मांग है. मुझे उम्मीद है कि अन्य लोग इस मांग को भारत सरकार के सामने रखने में मेरा साथ देंगे.'
उमर से मिलने के लिए एक किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी
एनसी (NC) प्रमुख ने कहा, 'मैं इस बात से अवगत हूं कि सैकड़ों कश्मीरी परिवारों की तुलना में मैं कहीं अधिक भाग्यशाली रहा हूं. मुझे घर पर नजरबंद कर दिया गया था और मेरे परिवार की मेरे पास पहुंच थी. कल जब मैं अपने बेटे उमर से मिलने गया, तो उसे देखने के लिए मुझे अपने घर से एक किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी.'
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हम अभी भी राजनीतिक संवाद के माहौल से दूर हैं
उन्होंने आगे कहा, '5 अगस्त के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए महत्वपूर्ण बदलावों का जायज़ा लेने के लिए मेरा मानना है कि राजनीतिक विचारों का एक स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान जरूरी है. हम अभी भी ऐसे माहौल से कुछ दूर हैं जहां इस तरह का राजनीतिक संवाद संभव हो.'
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उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती हैं नजरबंद
बता दें कि 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से घाटी में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया था. पिछले साल 4 अगस्त से अब्दुल्ला नजरबंद थे और प्रशासन के पीएसए हटाने के करीब सात महीने बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. फारुक अब्दुल्ला समेत उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन को नजरबंद किया गया था.