देशभर में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. पिछले दो दिन से 70 हजार से अधिक मामले रोज सामने आ रहे हैं जिससे चिंता लगातार बढ़ती जा रही है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि कोरोना की चपेट में स्वास्थ्यकर्मी आ रहे हैं. कोरोनाकाल में स्वास्थ्य कर्मियों ने इस वायरस के खतरे को दरकिनार करते हुए कोरोना मरीजों की देखभाल की जो उनके अद्भुत साहस का परिचय था. आंकड़ों पर दौर करें तो सिर्फ छह राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और गुजरात में 87,000 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी कोविड -19 से संक्रमित हुए हैं. इनमें 573 की मौत हो चुकी है.
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86 फीसद स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना से हुए मौत
आंकड़ों पर गौर करें तो मरने वाले 573 स्वास्थ्यकर्मियों में से 86% से अधिक मौतों की वजह कोविड ही रहा है. सिर्फ महाराष्ट्र में ही 7.3 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं. यहां पॉजिटिव पाए गए स्वास्थ्यकर्मियों का आंकड़ा 28 फीसद है जबकि मरने वालों का 50 फीसद है. आकंड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु ने 28 अगस्त तक प्रत्येक 1 लाख से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों का परीक्षण किया है. कर्नाटक ने 12,260 संक्रमित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सूचना दी, जो महाराष्ट्र का आधा है. तमिलनाडु में 11,169 मामले सामने आए, जिनमें डॉक्टर, नर्स और आशा कार्यकर्ता शामिल थे. महाराष्ट्र में 292 स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मौतें हुई हैं, जबकि कर्नाटक और तमिलनाडु में क्रमशः 46 और 49 मौतें हुईं.
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2 करोड़ का बीमा देने की मांग
भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य फाउंडेशन के महामारी विशेषज्ञ, गिरिधर बाबू ने कहा कि उनके परिवारों के लिए 2 करोड़ रुपये से अधिक का बीमा कवर प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा- स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं सिर्फ शब्दों से प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए, बल्कि ठोस प्रयास किए जाने चाहिए। मणिपाल हॉस्पिटल्स के चेयरमैन डॉ. एच. सुदर्शन बल्लाल ने कहा- स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा करना महत्वपूर्ण है, जिससे कि इनकी संख्या में कमी नहीं आए और हम आने वाली चुनौतियों के लिए अच्छी तरह तैयार रह सकें।
Source : News Nation Bureau