केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि एनडीए सरकार के जो आलोचक सरकार के खिलाफ 'अघोषित आपातकाल' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें आपातकाल के दौरान अपनी भूमिका के बारे में आत्ममंथन करना चाहिए।
जेटली ने बीजेपी की वेबसाइट पर एक खुले पत्र में कहा है, 'देश में किसी भी सरकार की आलोचना के लिए अघोषित आपातकाल शब्द के इस्तेमाल की परंपरा बन गई है। जो लोग इस तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं, वे या तो आपातकाल का समर्थन कर रहे थे या आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लापता थे।'
जेटली ने कहा कि आपातकाल ने एक व्यक्तिगत तानाशाही को स्थापित किया था और समाज में भय का वातावरण पैदा किया था।
उन्होंने कहा, 'तमाम संस्थान ध्वस्त हो गए थे। आपातकाल 25 जून, 1975 को घोषित किया गया था। सरकार ने इसके लिए लोक व्यवस्था को खतरे का कारण बताया था, लेकिन जाहिर तौर पर यह सही कारण नहीं था।'
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जेटली कांग्रेस द्वारा की गई टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कहा गया है कि राजग सरकार के दौरान एक अघोषित आपातकाल की स्थिति बनी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी तानाशाही पर उतर आए हैं। देश और समाज में भय का वातावरण पैदा किया जा रहा है। भाजपा शासित राज्यों में आंदोलनों को बल प्रयोग कर दबाया जा रहा है।
कांग्रेस ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान की गई टिप्पणियों पर की है, जिसमें उन्होंने आपातकाल को काली रात बताया, और कहा कि उस दौरान पूरा देश एक तरह से जेल में तब्दील हो गया था।
जेटली ने लिखा है, 'वास्तविक कारण था कि इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर पद से बेदखल कर दिया था और सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर एक सशर्त स्थगन दिया था। वह सत्ता में बनी रहना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने आपातकाल लागू किया।'
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Source : IANS