नेशनल मोनेटाइजेशन प्रोग्राम को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को मोदी सरकार (Modi Government) पर निशाना साधा है. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि क्या वे (राहुल गांधी) मोनेटाइजेशन को समझते हैं? उन्होंने कहा कि क्या 2008 में कांग्रेस सरकार नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए RFP (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) नहीं लाई थी? मैं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि अब रेलवे स्टेशन का मालिक कौन है? जीजा जी?
यह भी पढ़ें : test match: इस पिच पर दो दिन में भी खत्म हुआ था टेस्ट, वो भी था अगस्त का महीना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2013 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने एक अध्यादेश फाड़ दिया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री देश से बाहर थे. राहुल गांधी अगर मोनेटाइजेशन के खिलाफ थे तो उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए RFP क्यों नहीं फाड़ा था?
आपको बता दें कि राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने मित्रों को देश की संपत्ति बेच रहे हैं. सड़क मार्ग, रेलवे, बिजली क्षेत्र, पेट्रोलियम पाइप लाइन, टेलिकॉम, वेयरहाउसिंग, खनन, एयरपोर्ट, पोर्ट, स्टेडियम ये सब किसको दिया जा रहा है? इन सबको बनाने में 70 साल लगे हैं. ये 3-4 लोगों को दिया जा रहा है, आपका भविष्य बेचा जा रहा है. 3-4 लोगों को तोहफे में दिया जा रहा है.
राहुल गांधी ने कहा था कि हम निजीकरण के खिलाफ नहीं हैं, हमारा निजीकरण तार्किक था. घाटे वाली कंपनी का निजीकरण करते थे ना कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण विभाग की. अब निजीकरण मोनोपोली बनाने के लिए किया जा रहा है. मोनोपॉली से रोजगार मिलना बंद हो जाएगा. पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी का नारा था 70 साल में कुछ नहीं हुआ. सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 70 सालों में जो पूंजी बनी थी उसे बेचने का निर्णय लिया. मतलब पीएम ने सबकुछ बेच दिया है. रोजगार छीना, कोरोना में मदद नहीं की, किसानों के लिए कानून बनाए. मोदी अपने दो-तीन उद्योगपति मित्रों के साथ देश के युवाओं पर आक्रमण कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें : पुनिंग मंदिर, चीन में मशहूर हान और तिब्बती शैलियों के मिश्रण वाला मंदिर
गौरतलब है कि पिछले दिनों केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने नई दिल्ली में नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्लान को लॉन्च किया है. नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (National Monetization Pipeline) के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर एसेट्स (infrastructure assets) की ऐसी एक सूची तैयार की जाएगी, जिसे सरकार (Government) को अगले 4 साल में बेचना है. उन्होंने कहा कि इसके जरिये अगले चार वर्षों में विनिवेश किए जाने वाली सरकार की बुनियादी ढांचा संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी. वित्त मंत्रालय का लक्ष्य इसके जरिये 6 लाख करोड़ रुपये जुटाना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन प्लान के लॉन्चिंग के मौके पर जानकारी देते हुए कहा कि सरकार अंडर-यूटिलाइज्ड एसेट्स को ही सिर्फ बेचेगी. हालांकि उन्होंने कहा कि संपत्ति का मालिकाना हक सरकार के पास रहेगा.