सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे 24 लोगों के खिलाफ नामजद और 135 अज्ञात लोगों पर एफआइआर दर्ज की गई है. ठाकुरगंज पुलिस ने कुल तीन रिपोर्ट कराई है. आरोपितों में मशहूर शायर मुन्नवर राना की बेटी सुम्मैया और फौजिया राना भी शामिल हैं. अपर पुलिस उप आयुक्त पश्चिम विकास चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक अज्ञात आरोपितों की पहचान की जा रही है.
ठाकुरगंज थाने में तैनात महिला आरक्षी ज्योति कुमारी के मुताबिक शांति व्यवस्था बनाने के लिए महिला प्रदर्शनकारियों से तितर बितर होने के लिए कहा गया था. आरोप है कि इस पर सुम्मैया राना, फौजिया, रूखसाना, सफी फातिया और 10 अज्ञात प्रदर्शनकारी महिलाओं ने एक राय होकर महिला आरक्षी के साथ धक्का मुक्की की.
वहीं दारोगा कैलाश नारायण त्रिवेदी का आरोप है कि 17 जनवरी को वह गस्त पर थे. इसी बीच शाम को अचानक कुछ महिलाएं और पुरुष घंटाघर पर पहुंच गईं और सीएए का विरोध करने लगीं. इस दौरान लईक हसन और नसरीन जावेद ने महिलाओं को शांति भंग के लिए उकसाया.
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वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने सीएए एवं एनपीआर को सही ठहराते हुए इसका विरोध करने वालों के बारे में सोमवार को कहा कि संविधान ने सभी को अपनी बात रखने का अधिकार दिया है. पटना में आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए रामविलास ने कहा चाहे कोई भी सरकार हो, किसी सरकार की हिम्मत नहीं है कि भारतीय नागरिक चाहे, हिंदू, मुसलमान, सिख या इसाई हो उसकी नागरिकता खत्म कर दे. उन्होंने सीएए को लेकर दलित वर्ग के बीच भ्रांति पैदा किए जाने की बात करते हुए कहा कि उन्हें स्वयं का भी असली जन्मदिन मालूम नहीं है तो क्या हम हिंदुस्तान के नागरिक नहीं हुए.
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रामविलास ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था और उसमें संशोधन कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि वे स्वयं 1974 के छात्र आंदोलन से राजनीति में आए हैं. छात्रों की अपनी भावना है. उन्हें रोक भी नहीं सकते . हम उनके बारे में धर्म के आधार पर सोचते भी नहीं हैं कि वे जामिया मिल्लिया अथवा जेएनयू के हैं. रामविलास ने कहा कि हमलोग बचपन से यह पढते आए हैं कि वाणी में स्वतंत्रता और कर्म पर नियंत्रण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि एनपीआर का सीएए से कोई संबंध नहीं है और एनआरसी केवल असम के लिए है जो 1971 से चला आ रहा है.