तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के मुखिया मौलाना साद (Maulana Saad) के निजामुद्दीन में स्थित मरकज बिल्डिंग को लेकर साल 2016 में एफआईआर दर्ज करवाई जा चुकी थी लेकिन मौलाना साद के रसूख के चलते इस एफआईआर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक 20 जून साल 2016 के दिन दिल्ली के निजामुद्दीन में स्थित मरकज की बिल्डिंग में कुछ लोगों को बांधकर पीटा गया था और उन्हें इस घटना के बारे में किसी को भी न बताने के लिए धमकाया भी गया था. मौलाना साद ने अपने रसूख के दम पर इस मामले को कोर्ट में ही सेटल करवा दिया था.
आपको बता दें कि 20 जून साल 2016 को दिल्ली के निजामुद्दीन थाने में मरकज की जमात में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. यहां पहुंचे कुछ लोगों ने मरकज से जुड़े प्रबंधन के लोगों पर मरकज बिल्डिंग के अंदर उन लोगों को बंद करके मारपीट करने और धमकी देने का आरोप लगाया था. इसके बाद इन लोगों ने मरकज बिल्डिंग मैनेजमेंट के खिलाफ दिल्ली में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी. मीडिया के सूत्रों की मानें तो मौलाना साद ने अपने रसूख के दम पर पीड़ितों के खिलाफ क्रॉस एफआईआर करवा दी थी.
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दिल्ली पुलिस ने जारी की थी चार्जशीट
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल भी कर दी थी. लेकिन बाद में मामला कोर्ट में सेटल हो गया था. गौरतलब है कि निजामुद्दीन मरकज अब भी मदरसे के नाम से ही चलता है. मरकज में सत्ता को लेकर साद और उसके विरोधियों के बीच कई बार संघर्ष भी हो चुका है क्योंकि मरकज के जरिए इस संस्थान को बाहरी देशों से भारी मात्रा में फंडिंग होती है.
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साल 2008 में भी साद के खिलाफ हुई थी एफआईआर
आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं था जब मौलाना साद के खिलाफ एफआईआर हुई हो, कांग्रेस के शासन काल में भी मौलाना साद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. लेकिन तब भी साद के रसूख के चलते उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. साल 2008 में मौलाना साद और मौलाना जुबेर के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई थी. उस समय केंद्र और दिल्ली दोनों जगह कांग्रेस की सरकार थी.