निर्भया गैंग रेप मामले के सभी दोषियों को तिहाड़ जेल में आखिरकार 20 मार्च 2020 को फांसी दे दी गई. हालांकि फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले उनकी आखिरी रात बेहद तनावपूर्ण कटी. पूरी रात आरोपी बैरक में बेचैन घूमते रहे. बता दें कि 15 पहरेदारों को आरोपियों की सुरक्षा के लिए लगाया गया था. इनकी सिर्फ एक ड्यूटी थी कि कानून ने जो उनके लिए सजा निर्धारित की है उसमें किसी तरह का व्यवधान ना पड़े. चारों दोषी ना खुद को कोई नुकसान पहुंचा सके ना किसी दूसरों को.
यह भी पढ़ें : आखिरी इच्छा अपने दिल में दफन कर दुनिया से 'दफन' हो गए निर्भया के हत्यारे
आजाद भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि चार दोषियों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया हो. चलिए आज आपको यह भी जानना चाहिए कि अब तक कितने दोषियों की फांसी के फंदे पर लटकाया गया हो. आज आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि कब कब और किस अपराध में फांसी की सजा दी गई है. पिछले तीन दशकों में 1991 के बाद से 16 दोषियों को भारत में मौत की सजा दी गई है, जिसमें 14 वर्षीय छात्रा का बलात्कार करने के बाद हत्या करने वाला धनंजय चटर्जी, आतंकी याकूब मेमन और अफजल गुरु शामिल है.
- 20 मार्च 2020 : निर्भया के चारों गुनहगारों को एक साथ दी गई फांसी
- दिल्ली के तिहाड़ जेल परिसर के जेल नंबर 3 में आज सुबह 5.30 बजे निर्भया के दोषियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को फांसी पर लटकाया गया.
- 14 अगस्त 2004 : बलात्कार और हत्या के दोषी धनंजय चटर्जी को कोलकाता में फांसी दी गई थी.
- धनंजय को कोलकाता में एक स्कूली छात्रा के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के जुर्म में तड़के साढ़े चार बजे फांसी पर लटकाया गया था.
- 14 वर्ष तक चले मुकदमे और विभिन्न अपीलों और याचिकाओं को ठुकराने के बाद धनंजय को कोलकाता की अलीपुर जेल में फांसी दी गई थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने धनंजय को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उसने राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सामने माफी की अपील की थी, लेकिन राष्ट्रपति ने भी क्षमादान से साफ मना कर दिया था.
- 21 नवंबर 2012 : 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी.
- 26 नवंबर 2008 को अजमल कसाब समेत 10 आतंकवादियों ने 166 लोगों की जान ली थी और तीन दिन तक पूरा शहर एक तरह से बंधक बना रहा था.
- कसाब को मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था. हमले के दौरान अकेले इस जगह पर 60 लोगों की मौत हुई थी.
- 9 फरवरी 2013: 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.
- अफजल को तड़के 5.25 बजे ही फांसी दे दी गई थी.
- फांसी देने के बाद सुबह करीब 9 बजे उसे तिहाड़ जेल के अंदर ही इस्लामिक रीति-रिवाज के साथ दफनाया गया था.
- अंतिम इच्छा के रूप में उसने कुरान की प्रति मांगी थी.
- गुरु को फांसी देने में 11 साल का वक्त लगा था.
- गुरु की फांसी के बाद तिहाड़ जेल में किसी भी दोषी को फांसी की सजा नहीं दी गई है.
- वहीं, उसे फांसी पर लटकाने के तुरंत बाद ही कश्मीर घाटी में कर्फ्यू लगा दिया गया था.
- पूरे जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. दिल्ली और मुंबई में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया था.
- 30 जुलाई 2015: 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुआ यह आतंक का पहला हमला था.
- एक के बाद एक हुए 13 धमाकों में 257 लोग मौत की नींद सो गए थे, जबकि 713 लोग इन धमाकों में घायल हुए थे.
- इन धमाकों से करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति नष्ट हो गई थी.
- इस जुर्म में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अंतिम समय तक बरकरार रखा.
- मेनन को फांसी की सजा देने में करीब 22 साल लगे थे.
Source : News Nation Bureau