दंगा क्या है? हिंसा क्या है? अगर आप इन सवालों के जवाब ढूंढने निकलेंगे तो आपको बस दर्द और झुलसे सपनों की कहानी ही मिलेगी. इन कहानियों में किसी के सपनों का घर जल गया होगा, तो किसी की आजीविका का साधन. इन दंगों ने हजारों लोगों के सपनों को जलाकर राख कर दिया. जैसे आज उत्तराखंड का हल्द्वानी जल रहा है. कैसे एक ही दिन में दंगाइयों ने पूरे शहर पर कब्जा कर तबाही मचा दी. हल्द्वानी देश का पहला शहर नहीं है जहां पहली बार दंगे हुए हों. देश की आजादी से पहले और बाद में दंगे ही दंगे देखने को मिले. आज हम आपको देश में अब तक हुए कुछ बड़े दंगों के बारे में बताएंगे, जिनमें हजारों लोगों की जान चली गई.
सिख दंगा (1984)
साल 1984 में पूरे देश में सिखों के खिलाफ आग भड़क गई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लोगों में गुस्सा देखा गया. ये गुस्सा इतना बेकाबू हो गया कि इसने दंगे का रूप ले लिया. दंगे देश की राजधानी दिल्ली से शुरू होकर पूरे देश में फैल गए. सिक्खों को अपनी जान बचाकर भागनी पड़ी. दिल्ली शहर में सिक्खों की सरेआम हत्या की जा रही थी. प्रशासन इन दंगाइयों को रोकने में पूरी तरह से असर्मथ हो गया था. हालांकि कोई स्पष्ट आंकड़े नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि इस दंगे में पांच हजार से ज्यादा लोग मारे गये थे.
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भागलपुर दंगा (1989)
साल 1989 में भागलपुर जल रहा था. शहर की सड़कों पर खून ही खून दिख रहा था. मुख्य रूप से हिंदू और मुसलमानों के बीच क्रूर दंगा हुआ, जिसमें 1000 से अधिक निर्दोष लोगों की जान चली गई. इतिहासकारों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भारतीय इतिहास में इतना क्रूर दंगा पहले कभी नहीं देखा गया था.
मुंबई दंगा (1992)
बाबरी मस्जिद के विध्वंस से देश में तनाव का माहौल बन गया था. इस तनाव ने बाद में दंगे का रूप ले लिया और यह दंगा दिसंबर 1992 में शुरू हुआ और जनवरी 1993 तक जारी रहा. श्री कृष्णा रिपोर्ट के अनुसार, 900 लोगों की जान चली गई, जिनमें 575 मुस्लिम, 275 हिंदू, 45 अज्ञात और पांच अन्य शामिल थे. दंगा शांत करने के लिए सेना को कमान संभालनी पड़ी.
गुजरात दंगा (2002)
गुजरात में गोधरा कांड के बाद राज्य की स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. साल 2002 में रेलवे स्टेशन पर भीड़ ने साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगा दी थी, जिसमें 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी. इसके बाद राज्य में दंगे हुए और यह दंगा तीन दिनों तक चला। इस दंगे में 790 मुस्लिम और 254 हिंदू मारे गए थे.
मुजफ्फरनगर (2013)
इस दंगे की शुरुआत यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में जाट-मुस्लिम हिंसा से हुई थी, जिसमें 62 लोगों की जान चली गई. साल 2013 में एक जाट समुदाय की लड़की के साथ एक मुस्लिम लड़के ने छेड़छाड़ की थी. इसके बाद छेड़छाड़ की शिकार लड़की के चचेरे भाई ने मुस्लिम युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी. इसके जवाब में मुसलमानों ने लड़कियों के भाइयों को मार दिया था.
Source : News Nation Bureau