साल भर के भीतर पांच पत्रकारों की हत्या से सकते में बिहार

पिछले 24 घंटे में एक पत्रकार समेत पांच लोगों की हत्या बिहार में कानून और व्यवस्था की बदतर स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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Abhishek Parashar
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साल भर के भीतर पांच पत्रकारों की हत्या से सकते में बिहार
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पिछले 24 घंटे में एक पत्रकार समेत पांच लोगों की हत्या से बिहार में कानून और व्यवस्था की बदतर स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पिछले 7 महीनों के भीतर बिहार में अपराधी दो पत्रकारों की हत्या कर चुके हैं। इससे पहले हिंदुस्तान अखबार के सिवान ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

रंजन की हत्या का आरोप माफिया से नेता बने और राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन पर लगा है। शहाबुद्दीन को हाल ही में जमानत मिली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जमानत रद्द किए जाने के बाद उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। वहीं शनिवार को रोहतास जिले के सासाराम में तड़के अज्ञात बदमाशों ने दैनिक भास्कर के रिपोर्टर धर्मेंद्र कुमार की गोलीमार कर हत्या कर दी।

धर्मेंद्र को अपराधियों ने करीब से तीन गोली मारी। घायल धर्मेंद्र को वाराणसी रेफर किया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। अभी तक पुलिस हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पत्रकार की हत्या के अलावा बिहार में पिछले 24 घंटों के दौरान अपराधियों ने 4 अन्य लोगों की हत्या कर दी। 

पिछले एक साल में 5 पत्रकारों की हत्या बिहार में अपराधियों के बीच कानून का खौफ खत्म होने की पुष्टि करता है। इसकी बड़ी वजह कनविक्शन रेट यानी अपराधियों को सजा दिए जाने की दर में आई कमी है। बिहार पुलिस के आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। 

2010 से 2015 के बीच बिहार में अपराधियों को सजा दिलाए जाने की दर में 68 फीसदी की गिरावट आई है। 2010 में संज्ञेय अपराधों में 14,311 लोगों को सजा हुई जो 2015 में घटकर 4,513 हो गई।

हत्याओं से दहला बिहार 

शाम को दरभंगा जिले के केवटगामा पंचायत के मुखिया रामचंद्र यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं भागलपुर के सुलतानगंज में शुक्रवार की देर रात अपराधियों ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी।

हत्या की तीसरी वारदात औरंगाबाद जिले की है। रूनिया गांव में अपराधियों ने एक वृद्ध कृष्णा चंद्रवंशी की हत्या कर दी। वहीं नालंदा जिले में अपराधियों ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी। 24 घंटे के भीतर ताबड़तोड़ पांच हत्याओं के बाद बिहार में दहशत का माहौल है।

सासाराम के एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि धर्मेंद्र सिंह लगातार गिट्टी बनाने वाले माफियाओं के खिलाफ लिख रहे थे। सासाराम इलाके में गिट्टी माफिया बेहद ताकतवर हैं और सिंह इनके निशाने पर थे। बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद हत्या की वारदात से नीतीश कुमार के सुशासन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पिछले एक साल में चार पत्रकारों की हत्या के बाद बिहार में 'अपराध में बढ़ोतरी' हुई है।

मोदी ने शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अपराध दर में आई गिरावट के दावे को हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि कैसे अगस्त महीने में अप्रैल के मुकाबले अपहरण के मामलों में 200 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई।

सीतामढ़ी में अजय विद्रोही, गया में महेंद्र पांडेय, सिवान में राजदेव रंजन और अब रोहतास में धर्मेंद्र सिंह की हत्या के बाद बिहार में पत्रकारों की सुऱक्षा के साथ कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

हत्या में अव्वल बिहार! 

नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के 2015 के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में बिहार में 685 लोगों की गोली मारकर हत्या की गई। गोली मारकर हत्या किए जाने के मामले में बिहार देश का दुसरा कुख्यात राज्य है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सबसे अधिक कुख्यात है जहां 2015 में 1617 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

बिहार में महागठबंधन की सरकार को लेकर कई तरह की आशंकाएं थी। लोगों को कानून और व्यवस्था के खराब होने की आशंका सबसे ज्यादा थी। आदित्य सजदेव कांड और राजदेव रंजन की हत्या के बाद चर्चित तेजाब कांड के आरोपी और आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को मिली जमानत ने इन आशंकाओं को बल दिया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन और आदित्य सचदेव हत्याकांड के आरोपी की जमानत रद्द कर दी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा कहते रहे हैं कि शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध में कमी आई है लेकिन बिहार पुलिस के आंकड़ें इसकी पुष्टि करते हुए दिखाई नहीं देते।
पूर्ण शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध के मामलों में कमी आना तो दूर उसमें बढ़ोतरी ही हुई है. अप्रैल, मई और जून में राज्य में संज्ञेय अपराधों की संख्या में उत्तरोतर वृद्धि हुई है

अप्रैल, मई और जून 2016 में बिहार में क्रमश: 14,279, 16,208 और 17,507 मामले दर्ज हुए। हालांकि जुलाई महीने में इसमें गिरावट आई लेकिन अगस्त में फिर से इसमें बढ़ोतरी देखने को मिली। 

अगस्त महीने में कुल 16952 मामले दर्ज हुए और इसमें हत्या के 228 मामले थे जो मार्च के बाद सबसे अधिक है। 2016 के पहले आठ महीनों में बिहार में हर महीने औसतन हत्या के 200 मामले दर्ज किए गए। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद शराबबंदी के फैसले को छोड़कर बिहार हमेशा ही हत्याओं को लेकर सुर्खियों में आया है।

Source : Abhishek Parashar

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