पूरे देश में मानसून अपने रौद्र रूप है. भारी बारिश के कारण देश के कई भागों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण कई जगहों पर भूस्ख्लन की शिकायत मिली है. अब तक पहाड़ों पर 35 लोग की जान जा चुकी है. वहीं दुनिया की बात करें तो कई देश बाढ़ की चपेट में हैं. अमेरिका, चीन, जापान, तुर्किये में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. जापान में मूसलाधार बारिश के कारण लैंडस्लाइड की वजह से दो लोगों की मौत हो गई. वहीं छह अन्य लापता बताए जा रहे हैं. चीन में हालात भी खास बेहतर नहीं हैं. दस हजार से अधिक लोगों को बाढ़ जैसे हालात के कारण घर को छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
उत्तरी, मध्य और दक्षिण-पश्चिमी चीन में बाढ़ कहर बरपा रही है. वहीं अमेरिका के कई शहरों में बाढ़ जैसे हालात हैं. 2011 में तूफान आइरीन की तबाही के बाद न्यूयॉर्क की हडसन वैली में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. भारी बारिश की वजह से तुर्किये और काला सागर तट पर नदियां उफान पर हैं.
दुनिया भर में बाढ़ आने की कॉमन वजह
विश्व भर में बाढ़ की बाढ़ आने का प्रमुख कारण वातावरण में बनने वाला तूफान. इस कारण अत्याधिक बारिश होती है. गर्म वातावरण में ज्यादा नमी पाई जाती है. इसके फल स्वरूप तूफान ज्यादा बरसात करते हैं. इसके घातक परिणाम होते हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदूषक तत्व, विशेषकर कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पर्यावरण को गर्म करने में लगे हुए हैं.
साल 2100 में कैसा रहेगी धरती
वैज्ञानिकों की मानें तो 21 वीं सदी के मध्य में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक आर्द्रता साल में 20 से 50 बार होगी. 2022 में अध्ययन किया गया था, उसके अनुसार 2100 तक अमेरिका के दक्षिणपूर्व के स्थानों पर भयानक गर्मी देखने को मिलेगी. ऐसा हाल कुछ और देशों में हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका, चीन, जापान, तुर्किये में बाढ़ जैसे हालात बने
- हडसन वैली में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा
- तुर्किये और काला सागर तट पर नदियां उफान पर