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विधायकों के जोड़-तोड़ से बचने के लिए जल्‍द से जल्‍द होना चाहिए Floor Test, बोले जस्‍टिस चंद्रचूड़

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सियासी संकट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते. इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए.

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Sunil Mishra
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Supreme Court

जोड़-तोड़ से बचने को जल्‍द हो Floor Test, बोले जस्‍टिस चंद्रचूड़( Photo Credit : Twitter)

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सियासी संकट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते. इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा, राज्य के 16 बागी कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय एक दिन में लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि 16 बागी विधायकों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होगी और कोर्ट इसके लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करेगी. कोर्ट ने प्रस्ताव देते हुए कहा कि बागी विधायक तटस्थ स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष के सामने खुद को पेश कर सकते हैं.

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मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्‍यक्ष की ओर से जिरह करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, बीजेपी की ओर से बार-बार सिर्फ फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट की बात दोहराई जा रही है. ये सीधे-सीधे स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम जोड़तोड़ को बढ़ावा देना नहीं चाहते . इस जोड़तोड़ को रोकने के लिए जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिए. इस पर सिंघवी बोले- सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में यू दखल नहीं दे सकता. दलबदल कानून के तहत 2/3 विधायकों का पार्टी से अलग होना ज़रूरी है. अब BJP की ओर से इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 विधायक फायदा उठा ले जाएंगे.

सिंघवी बोले, सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट की बात दोहरानी शुरू कर दी गई.

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इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे? सिंघवी ने इससे इंकार किया. इस पर जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा - दोनों के अधिकारों में संतुलन ज़रूरी है. विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार है तो स्पीकर को फैसला लेने का अधिकार है.

सिंघवी ने कहा कि कोर्ट वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. अगर आप समयसीमा भी तय न करें तो भी स्पीकर दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार है. सिंघवी ने कहा, इस्तीफे और अयोग्यता पर बिना फैसला हुए फ्लोर टेस्‍ट नहीं होना चाहिए.

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जस्टिस चन्दचूड़ ने कहा, लेकिन आप स्थिति से कैसे निपटेंगे जब स्पीकर कोई फैसला नहीं ले रहे हैं. सिंघवी ने जवाब देते हुए कहा, स्पीकर को वाजिब वक़्त दिया जा सकता है. उन्हें आप दो हफ्ते दे दीजिए. उन्होंने पहले ही विधायकों को नोटिस जारी किया हुआ है.

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सिंघवी ने कहा- अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को उन MLAs से मिलने क्यों नहीं दिया गया? इस पर जस्टिस गुप्ता ने सवाल किया कि क्या MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं? सिंघवी के सहमति जताने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा - तब MLAs से मिलने की दलील का कोई मतलब नहीं रहा जाता. सिंघवी ने कहा कि दिग्विजय को छोड़िए, महत्वपूर्ण बात ये है कि MLA को बंधक बनाया गया है.

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Source : News Nation Bureau

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