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अपनी बायोपिक फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' के लिए ऐसे माने थे मिल्खा सिंह, जानें ये दिलचस्प वाकया

बीती रात यानि कि शुक्रवार को हमने अपने देश का एक और हीरा खो दिया. खेल जगत में दुनियाभार में भारत की प्रसिद्धि फैलाने वाले महान धावक मिल्खा सिंह ने 18 जून को दुनिया को अलविदा कह दिया. 91 वर्षीय मिल्खा सिंह काफी समय को कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे.

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Vineeta Mandal
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मिल्खा सिंह

मिल्खा सिंह( Photo Credit : फाइल फोटो)

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 बीती रात यानि कि शुक्रवार को हमने अपने देश का एक और हीरा खो दिया. खेल जगत में दुनियाभार में भारत की प्रसिद्धि फैलाने वाले महान धावक मिल्खा सिंह ने 18 जून को दुनिया को अलविदा कह दिया. 91 वर्षीय मिल्खा सिंह काफी समय को कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे, बुधवार को उनका रिपोर्ट निगेटिव आया था. लेकिन अचानक तबियत बिगड़ने पर  उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था. इस अस्पताल में मिल्खा सिंह ने आखिरी सांस ली. मिल्खा परिवार ने एक बयान जारी कर इस महान धावक के निधन की पुष्टि की.

मिल्खा सिंह उपलब्धि-

धावन मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' के नाम से भी जाना जाता है. मिल्खा ने एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता में चार बार स्वर्ण पदक जीता है और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था. हालांकिक, 91 वर्षीय को 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में उनकी एपिक रेस के लिए याद किया जाता है.

और पढ़ें: मिल्खा सिंह का 91 साल की उम्र में निधन : जानिए उनकी प्रोफाइल, उपलब्धियां और पुरस्कार 

अपनी बायोपिक के लिए मिल्खा सिंह ने ऐसे कहां था 'हां'

फ्लाइंग सिख की जिंदगी काफी संघर्षपूर्ण रही है.  भारत के बंटवारे ने मिल्खा सिंह को पूरी तरह तोड़ के रख दिया था. भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान कई दंगे हुए, उस समय हिंदू-मुस्लिम एक-दूसरे के खून के प्यासे थे. इस विभाजन के समय मिल्खा सिंह काफी छोटे थे. कहा जाता है कि मिल्खा सिंह दंगों के दौरान अपनी जान बचाने के लिए खूब भागे थे. यहीं से उनके भागने का सिलसिला शुरू हुआ जो आगे चलकर पूरी दुनिया में उनकी पहचान बनी.

कई फिल्म निर्माता मिल्खा सिंह की जिंदगी पर फिल्म फिल्माना चाहते थे लेकिन इसमें उनकी बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी. मिल्खा सिंह को 1960 के दशक के बाद के फिल्मों में बिल्कुल रुचि नहीं रह गई थी. शायद इसलिए वो अपनी बायोपिक फिल्म बनवाने के लिए राजी नहीं हो रहे थे. हालांकि मिल्खा सिंह की जिंदगी पर आधारित फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' ने काफी प्रसद्धि पाई थी. इस फिल्म से नई पीढ़ियों ने भी फ्लाइंग सिख को अच्छे से समझने लगी थी. 

नई फिल्मों पर विश्वास नहीं रखने पर भी 'भाग मिल्खा भाग' के लिए मिल्खा सिंह ने कैसे हामी भरी, इसका कारण उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में बताया.  मिल्खा सिंह ने इंटरव्यू के दौरान कहा था कि कई सालों से फिल्म निर्माण के लिए लोग  उनसे संपर्क कर रहे थे. लेकिन वो सभी फिल्म मेकर्स के ऑफर के मना करते रहे. लेकिन एक दिन उन्होंने अपने बेटे जीव के कहने पर हामी भर दी. दरअसल, उनके बेटे को फिल्मों का काफी शौक था. मिल्खा सिंह ने बताया था कि यात्रा के दौरान फ्लाइट में उनके बेटे जीव फिल्में देखा करते थे. एक यात्रा के समय उनके बेटे ओम प्रकाश मेहरा की फिल्म 'रंग दे बसंती' देख रहे थे और तभी उन्हें लगा कि उनके पिता की बायोपिक फिल्म के साथ न्याय वो ही कर सकते हैं. 

उस समय प्रकाश मेहरा भी मिल्खा सिंह की बायोपिक बनाने चाहते थे, लेकिन वो इसके लिए उन्हें उनकी हां की जरुरत थी. इसके बाद मिल्खा सिंह के बेटे जीव ने अपने पिता को फिल्म के लिए काफी मनाया. इसके बाद उन्होंने हामी भर दी और इस तरह सिनेमा फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' का निर्माण हो पाया. इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था. ये फिल्म काफी सुपरहिट साबित हुई थी, जनता ने इसपर खूब प्यार लुटाया था. वहीं बताया जाता है कि फिल्म  राइट्स एक रुपये में बेचने के आइडिया पर मिल्खा सिंह ने अपनी सहमति जताई थी.

फिल्म के प्रमोशन के दौरान मिल्खा सिंह ने कहा था कि मुझे काफी खुशी है कि मैनें अपने बेटे की बात मानी, क्योंकि फिल्म काफी अच्छी बनी है.  इस फिल्म की कहानी एकदम सच्ची है. जब से मैं मुल्तान (पाकिस्तान में) से दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरा और तब से मैं केवल अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता हुआ भागता रहा. फिल्म इस पीढ़ी को बताएगी कि मिल्खा कौन है?

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वहीं बता दें कि बीते 13 जून को ही मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का कोरोना के कारण निधन हो गया था. मिल्खा सिंह के परिवार में तीन बेटियां डॉ मोना सिंह, अलीजा ग्रोवर, सोनिया सांवल्का और बेटा जीव मिल्खा सिंह हैं. गोल्फर जीव, जो 14 बार के अंतरराष्ट्रीय विजेता हैं, भी अपने पिता की तरह पद्म श्री पुरस्कार विजेता हैं.

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