चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को 5 साल की सजा के साथ ही 60 लाख रुपए
का जुर्माना भी लगाया गया। हालांकि, लालू यादव जैसे प्रभावशाली नेता के खिलाफ इस हाई प्रोफाइल मामले को अंजाम तक पहुंचना आसान नहीं था. बताया जाता है कि चारा घोटाले की मन माफिक जांच नहीं होने पर नाराज लालू एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा पर भड़क गए थे. उस वक्त देवगौड़ा ने भी पलटवार करते हुए उन्हीं की भाषा में जवाब दिया था। देवगौड़ा ने साफ लफ्जों में कह दिया था कि केंद्र सरकार और सीबीआई कोई उनकी पार्टी नहीं कि वे उन्हें भैंस की तरह, जैसे मन करे, हांक दें.
चारा घोटाला की जांच को लेकर देवगौड़ा पर भड़क उठे थे लालू
घटना वर्ष 1997 की है. चारा घोटाला मामले में सीबीआई के संयुक्त निदेशक यूएन विश्वास ने आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव से पहली पूछताछ की थी. दरअसल, लालू की इच्छा थी कि तत्कालीन पीएम एचडी देवगौड़ा उनके मन मुताबिक जांच के लिए सीबीआई के निदेशक जोगिंदर सिंह को ये जिम्मेदारी दें। गौरतलब है कि जोगिंदर सिंह देवगौड़ा के गृह राज्य कर्नाटक कैडर के ही अफसर थे. लेकिन, लालू यादव के आग्रह के बावजूद जब काम नहीं हुआ तो लालू तत्कालीम प्रधानमंत्री देवेगौड़ा से नाराज हो गए. वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर की लालू पर लिखी किताब के मुताबिक इस मामले को लेकर लालू यादव और देवगौड़ा के बीच बड़ी बहस हुई थी. इस दौरान लालू यादव ने देवगौड़ा पर चिल्लाते हुए कहा था कि आपको इसलिए प्रधानमंत्री नहीं बनाया था कि आप मेरे खिलाफ मुकदमा तैयार कर वाएं। इसके बाद लालू ने देवगौड़ा को आगे कहा था कि हमने आपको देश का प्रधानमंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती की है।
देवगौड़ा ने कर दी थी बोलती बंद
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री के दिल्ली स्थित 7 रेस कोर्स के ऑफिशियल आवास पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की यह बात तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा को नागवार गुजरी थी। इसके बाद उन्होंने भी उसी लहजे में जवाब दिया। देवगौड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार और सीबीआई कोई भैंस नहीं है, जिसे आप अपनी मर्जी से इधर-उधर हांक दें। देवगौड़ा ने सख्त लहजे में लालू को बता दिया था कि वे पार्टी को भैंस की तरह चलते हैं, लेकिन बतौर प्रधानमंत्री वे भारत सरकार चलाते हैं.
पहली गिरफ्तारी से पहले लालू ने खूब की थी नौटंकी
चारा घोटाले में फंसने के बाद 30 जुलाई 1997 को चारा मामले में उनकी पहली गिरफ्तारी हुई थी. गिरफ्तारी की अटकलों के बीच लालू ने एक दिन पहले ही पत्नी राबड़ी देवी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया था. बताया जाता है कि लालू की गिरफ्तारी के लिए 29 जुलाई 1997 की रात में पटना स्थित सीएम आवास को रैपिड एक्शन फोर्स ने घेर लिया था। बताया जाता है कि इसके बाद भी लालू यादव समर्पण करने के लिए तैयार नहीं थे. हिंसक विरोध-प्रदर्शन की लालू की धमकी को देखते हुए स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैनाती तक की चर्चा होने लगी थी. हालांकि, बाद में लालू झुक गए और 30 जुलाई की सुबह सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
गौरतलब है कि रखंड में चल रहे चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार के सबसे बड़े मुकदमे में सीबीआइ की विशेष अदालत बीते 15 फरवरी को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया था. इसके साथ ही 18 तारीख को सजा पर फैसला सुनाने की बात कही गई थी, लेकिन 18 तारीख को मामले में बाकी आरोपियों को सजा सुनाई गई थी और लालू के खिलाफ फैसले को सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने सोमवार को डेढ़ बजे के बाद लालू यादव को पांच साल जेल की सजा के साथ ही उपनर 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया दिया। इसके साथ लालू प्रसाद यादव झारखंड में चारा घोटाला के सभी पांच मामलों में सजा पा चुके हैं.
Source : News Nation Bureau