कन्नड़ पत्रिका की संपादक गौरी लंकेश हत्याकांड में विशेष जांच दल को एक बड़ी सफलता मिली है। गुजरात की एक फॉरेंसिक लैब ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले साल पांच सितंबर को परशुराम वाघमारे ने गौरी लंकेश की गोली मार कर हत्या की थी। एसआईटी के सूत्रों ने कहा कि घटनाक्रम कि श्रृंखला एक बार फिर रची गई और उस दिन से जुड़ी सीसीटीवी वीडियो को फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय भेजा गया। लैब में इस बात की पुष्टि हुई कि विज़ुअल्स में दिख रहा शख्स एक ही है। एसआईटी के एक अफसर ने कहा, दोनों विजुअल्स में दिखे शख्स की पुष्टि लैब में हो चुकी है। जून में पुलिस ने पशुराम वाघमारे को पत्रकार की हत्या के सम्बन्ध में गिरफ्तार किया था।
दाभोलकर की हत्या के चार साल बाद गौरी की हत्या हुई थी। इन दोनों ही मामलों में सनातन संस्था समेत दक्षिणपंथी संगठनों की भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही और अब यह जांच में सामने भी आ रहा है। पिछले साल पांच सितंबर को 'लंकेश पत्रिका' की संपादक गौरी लंकेश (55) की शहर के उपनगरीय इलाके में स्थित उनके आवास पर अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस के अनुसार, अज्ञात हमलावरों ने कुल सात गोलियां मारी जिनमें तीन (दो छाती और एक माथे पर) गौरी को लगीं थीं।
गौरी लंकेश की हत्या मामले में एसआईटी अबतक 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हत्या में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कुछ लोगों की तलाशी भी तेज़ी से शुरू हो गई है। एक अधिकारी ने कहा, महाराष्ट्र एटीएस के तलाशी शुरू करने के बाद से वे लोग फरार हैं। वे सब महाराष्ट्र और गोवा के रहने वाले हैं। एसआईटी ने कर्नाटक में कम से कम 50 लोगों की पहचान की है।
नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पन्सारे, एम एम कलबुर्गी और लंकेश की हत्या करने वाले समूह ने करीब 2009 में मडगांव में हुए ब्लास्ट के बाद अपनी मौजूदगी के संकेत दिए थे। एसआईटी अफसर ने कहा, कर्नाटक में मनोहर और सुजीत लोगों की भर्ती कर रहे थे। अमोल काले लंकेश हत्याकांड का मास्टरमाइंड है।
Source : News Nation Bureau