मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी दत्ता पडसलगीकर (Datta Padsalgikar) को उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) बनाया गया है. दत्ता पडसलगीकर मौजूदा एनएसए अजीत डोभाल (Ajit Doval) के साथ काम कर चुके हैं. दत्ता पडसलगीकर आईबी (IB) में रहते हुए वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ काम किया था. दत्ता पडसलगीकर (Datta Padsalgikar) साल 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने 26 साल तक खुफिया ब्यूरो (आईबी) में काम किया, जिसके बाद उन्हें मुंबई पुलिस आयुक्त बनाया गया. साल 2018 में पुलिस महानिदेशक (DGP) के रूप में सेवानिवृत्त हुए.
दत्ता पडसलगीकर (Datta Padsalgikar) ने मीडिया से बातचीत करने के दौरान बताया कि वो जल्दी ही अपना कार्यभार संभालेंगे. महाराष्ट्र पुलिस में दत्ता पडसलगीकर के साथ काम किए हुए ऑफिसर्स मुंबई आतंकी हमले के दौरान उनकी जांच की बहुत तारीफ करते हैं. पडसलगीकर के साथ काम करने वाले पुलिस ऑफिसर्स उनकी सादगी के बारे में तारीफ करते हुए बताते हैं कि, ‘पडसलगीकर को मुंबई पुलिस के कमिश्नर के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद जब उन्हें सरकारी आवास आवंटित किया जाना था, वह वर्ली में आईपीएस अधिकारियों के भोजनालय में रहते थे. वह हर सुबह बिना किसी सुरक्षा के पास की बेकरी में चले जाते थे.’
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उनकी मिलनसार व्यक्तित्व के बारे में उनके सहयोगी बताते हैं कि मुंबई में त्योहारों के दौरान पडसलगीकर भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए गणेश उत्सव जैसे अवसरों पर अपने ड्राइवर और पुलिस कांस्टेबल के घर उनसे मिलने जाते थे. महाराष्ट्र में उन्होंने पुलिसकर्मियों के लिए 12 घंटे की ड्यूटी के बजाय आठ घंटे की ड्यूटी शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पडसलगीकर ने अपने कार्य और व्यवहार से अपने विभाग के छोटे कर्मचारियों से लेकर बड़े अधिकारियों तक को प्रभावित किया है. पडसलगीकर के साथी ऑफीसर्स बताते हैं कि 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान पडसलगीकर की भूमिका की हर कोई सराहना करता है.
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साल 2008 में हुआ था 26/11 का अटैक
26/11/2008 मुंबई में आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला किया था. इस हमले के दौरान देश की वित्तीय राजधानी कहे जाने वाले मुंबई के विभिन्न स्थानों पर 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया. पाकिस्तान द्वारा द्वारा करवाए गए इस 'आत्मघाती' हमलों में कुल 166 लोग मारे गए थे. हालांकि इस हमले को अंजाम देने वाले 9 आतंकवादी भी पुलिस की गोलियों का शिकार बने थे जबकि एक आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था जिसे साल 2013 में फांसी दी गई.