बलात्कार के आरोप में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद सीबीआई के पूर्व अधिकारी ने बड़ा खुलासा किया है।
गुरमीत राम रहीम केस में जांचकर्ता रहे सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक मुलिंजा नारायणन ने दावा किया कि केस को बंद करने के लिए उनपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था।
नारायणन ने कहा, 'जांच के समय मेरे लिए ये एक दिमाग का खेल था जिसमें हम कभी जीतते हैं तो कभी हारते हैं। लेकिन अंत में आज ये साबित हो गया कि कोई भी कानून से भाग नहीं सकता।
गौरतलब है कि जब साल 2002 में गुरमीत राम रहीम के केस को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा था तो उस वक्त नारायणन क्राइम ब्रांच में पुलिस उपमहानिरीक्षक थे।
केस को लेकर 67 साल के मुलिंजा नारायणन ने कहा, 'इस मामले में सीबीआई ने दिसंबर 2012 में केस दर्ज किया था। अचानक मैंने पाया कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी मेरे कमरे में आए और मुझे केस को लेकर दिशानिर्देश देने लगे।' उन्होंने मुझसे कहा, 'केस को बंद कर दो और इस पर कार्रवाई करने की कोई जरूरत नहीं है।'
मुलिंजा नारायणन ने कहा, 'जब मैंने मामले की जांच शुरू की तो कई प्रभावशाली राजनेता और कारोबारी सीबीआई हेडक्वार्टर आए और मुझपर केस को बंद करने का दबाव बनाने लगे। लेकिन न्यायपालिका की वजह से जांच को पूरा कर पाया जिसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।'
नारायणन ने केसी की जांच को लेकर बताया, 'जब डेरा प्रमुख के सामने पीड़ित से सवाल पूछे जाते थे तो वो काफी डर जाती थी। इसलिए मैं ये सुनिश्चित करना चाहता था कि इस केस में पीड़िता के साथ कोई भी अन्याय ना हो और कोई भी उसकी कमजोरी का फायदा ना उठा सके।'
नायारणन के मुताबिक पीड़ित महिला का साल 1999 से शारीरिक शोषण हो रहा था और इस मामले में केस दर्ज साल 2002 में हुआ था।
साल 2009 में 38 साल की नौकरी के बाद सीबीआई से रिटायर होने होने वाले नारायणन पहले ऐसे अधिकारी थे जो सीबीआई में सब इंस्पेक्टर के पद से संयुक्त निदेशक पद तक पहुंचे।
HIGHLIGHTS
- पूर्व सीबीआई अधिकारी का दावा, डेरा प्रमुख के केस को बंद करने का डाला गया था दबाव
- पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने 15 साल पुराने रेप के केस में गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया है
Source : News Nation Bureau