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पूर्व जज ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, कहा- वरिष्ठता की अनदेखी कर कॉलेजियम में भेजे गए दो नाम

पत्र में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि न्यायमूर्ति खन्ना दिवंगत न्यायामूर्ति एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था जिसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था.

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Deepak Kumar
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पूर्व जज ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, कहा- वरिष्ठता की अनदेखी कर कॉलेजियम में भेजे गए दो नाम

सुप्रीम कोर्ट

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दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को शीर्ष अदलात में भेजे जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है. पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर ने सोमवार को दो पन्नों वाला यह पत्र लिखा है. पत्र में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि न्यायमूर्ति खन्ना दिवंगत न्यायामूर्ति एच आर खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था जिसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था.

पत्र में कहा गया है कि जिस तरह से न्यायमूर्ति एच आर खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में 'काला दिन' बताया जाता है उसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना एक और काला दिन होगा. उन्होंने लिखा कि संभव है कि उनमें से कई न्यायाधीश उनसे कम मेधावी और सत्यनिष्ठा वाले नहीं हों.

बता दें कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति माहेश्वरी और दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर तरक्की दिए जाने की कॉलेजियम की 10 जनवरी की सिफारिश के बाद यह पत्र लिखा गया है.

सेवानिवृत्त न्यायाधीश गंभीर ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता को संरक्षित रखा जाए तथा 'एक और ऐतिहासिक भूल नहीं की जाए.'
उन्होंने पत्र की शुरुआत में लिखा कि जब 11 जनवरी को उन्होंने टीवी चैनलों पर कॉलेजियम की सिफारिश के बारे में खबर देखी तो शुरुआत में उन्हें इस पर यकीन नहीं हुआ. पर उन्होंने कानूनी समाचार देने वाली वेबसाइटों पर इस बारे में विस्तृत कवरेज देखी. साथ ही उन्होंने उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर डाले गए कॉलेजियम के फैसले को भी देखा.

उन्होंने पत्र में लिखा कि यह भयावह है कि 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करने का हिलाकर रख देने वाला एक फैसला ले लिया गया. नजरअंदाज किए गए उन न्यायाधीशों में कई मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं और यह फैसला उनके ज्ञान, मेधा और सत्यनिष्ठा पर प्रहार करता है.

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न्यायमूर्ति गंभीर ने यह भी लिखा है कि न्यायमूर्ति संजीव खन्ना दिवंगत न्यायमूर्ति डी आर खन्ना के बेटे हैं और कानूनी जगत के एक बहुत ही सम्मानित व्यक्ति, उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एच आर खन्ना के भतीजे हैं. न्यायमूर्ति एच आर खन्ना ने एडीएम जबलपुर मामले में असहमति वाला फैसला दिया था.

Source : News Nation Bureau

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