पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह (Natwar Singh) ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर बुधवार को कहा कि भारत सरकार को तालिबान के कब्जा करने से पहले ही उसके साथ खुले तौर पर संपर्क स्थापित करना चाहिए था. सिंह के मुताबिक, अफगानिस्तान से ‘भाग चुके’ राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे, लेकिन हालात अब बहुत ज्यादा बदल चुके हैं. सिंह ने कहा कि हालात ‘‘विपरीत नही’’ हैं, यहां तक कि सांकेतिक मित्रता भी नहीं है, यही वजह है कि भारत सरकार बहुत सावधान है. उनका कहना है कि अमेरिका को बहुत सारी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने सैनिकों को हटाकर तालिबान के लिए वहां आना आसान कर दिया. नटवर सिंह ने ये टिप्पणियां उस वक्त की हैं, जब अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया.
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सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में एक जिम्मेदार सरकार की तरह काम करता है तो फिर भारत को उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना चाहिए. UPA की पहली सरकार में विदेश मंत्री और अतीत में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे 92 वर्षीय सिंह का कहना है कि फिलहाल भारत को ‘प्रतीक्षा करने और नजर रखने’ की रणनीति पर अमल करना चाहिए, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दिनों अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला तालिबान 20 साल पहले के तालिबान के मुकाबले बेहतर दिखाई देता है.
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तालिबान ने 11 सितंबर के हमलों के बाद अमेरिका नीत सेना के अफगानिस्तान में आने के 20 साल बाद फिर से देश पर कब्जा कर लिया है. यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को तालिबान के साथ पहले ही संपर्क करना चाहिए था तो सिंह ने इसका जवाब हां में दिया और तालिबान के साथ अमेरिका के बातचीत करने का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं विदेश मंत्री होता तो मैं उनके साथ संपर्क करता. मैं अपने तरीके से आगे बढ़ा होता और अपनी खुफिया एजेंसी से कहता कि चुपचाप संपर्क किया जाए.’’
HIGHLIGHTS
- सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ भारत के नजदीकी रिश्ते थे
- सिंह ने कहा कि हालात ‘‘विपरीत नही’’ हैं, यहां तक कि सांकेतिक मित्रता भी नहीं है
- देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ देने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया
Source : News Nation Bureau