Advertisment

आखिर क्यों कहा था पूर्व पीएम अटल बिहारी ने 'मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा'

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन के कई ऐसे प्रसंग हैं, जो लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है।

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
चार हजार किलो की है अटल जी की प्रतिमा, पीएम मोदी आज करेंगे अनावरण

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)

Advertisment

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का उदारवादी चेहरा और कई राजनीतिक दलों के सहयोग से 1990 के दशक में केंद्र में पहली बार बीजेपी की सरकार बनाने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को एम्स में आखिरी सांस ली। वाजपेयी काफी समय से बीमार थे। वाजपेयी के जीवन के कई ऐसे प्रसंग हैं, जो लोगों के जेहन में आज भी जिंदा है।

ऐसा ही एक प्रसंग है कि जब उनके ऊपर सत्ता का लालची होने का आरोप लगा गया था। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, 'मुझ पर आरोप लगाया गया है। आरोप यह है कि मुझे सत्ता का लोभ हो गया है और मैंने पिछले 10 दिनों में जो किया है वो सत्ता के लोभ के कारण किया है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने उल्लेख किया है कि मैं 40 साल से सदन का सदस्य हूं। सदस्यों ने मेरा व्यवहार देखा है, मेरा आचरण देखा है। जनता दल के मित्रों के साथ में सत्ता में भी रहा हूं। कभी हम सत्ता के लोभ से गलत काम करने के लिए तैयार नहीं हुए है।'

वाजपेयी ने आगे कहा, 'यहां शरद और जसवंत सिंह दोनों बैठे है। जसवंत सिंह कह रहे थे कि किस तरह से शरद पवार ने अपनी पार्टी तोड़कर मेरे साथ सरकार बनाई थी। सत्ता के लिए बनाई थी या महाराष्ट्र के भले के लिए बनाई थी, ये अलग बात है। मगर उन्होंने अपनी पार्टी तोड़कर हमारे साथ सहयोग किया। मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया। बार-बार इस चर्चा में यही सुनाई दिया कि वाजपेयी तो अच्छे हैं, लेकिन पार्टी ठीक नहीं है।' उनके इस बयान के बाद सदन में मौजूद सांसदों ने कहा कि यह सही बात है।

इसके बाद उन्होंने आगे कहा, 'पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन कर के अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा। भगवान राम ने कहा था कि मैं मृत्यु से नहीं डरता, डरता हूं तो बदनामी से डरता हूं।'

ये भी पढ़ें: अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण से आहत मनमोहन सिंह ने जब पद छोड़ने का बना लिया था मन

कवि से लेकर एक दिग्गज राजनेता तक अटल का व्यक्तित्व और उनका रवैया किसी से छिपा नहीं है। चाहे वह 1977 में सुयंक्त राष्ट्र के अंदर हिंदी में दिया गया उनका भाषण हो या फिर पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद संसद के अंदर विपक्ष को लेकर उनके तीखे हमले। अटल के अंतिम सांसों के थमने के बाद भले ही एक कवि और राजनेता के कद्दावर युग का अंत हो गया हो, लेकिन उनकी कविताएं युवा पीढ़ी के दिलों में हमेशा पढ़ी जाएंगी।

Source : News Nation Bureau

Atal Bihari Vajpayee Former PM Atal Bihari Vajpayee greed of power Speech Atal bihari historical speech
Advertisment
Advertisment