यूपीए (UPA) सरकार के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के गवर्नर रहे रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज (NPA) को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है। रिजर्व बैंक पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में चली यूपीए (UPA) सरकार के समय हुए कोयला घोटाला राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याएं NPA की बड़ी वजह है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बाद की एनडीए सरकार द्वारा फैसला लेने में हुई देरी भी NPA बढ़ने की एक बड़ी वजह है।
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) के इस बयान के बाद कांग्रेस के लिये मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि जब भी बैंकों के एनपीए (NPA) के बढ़ने की बात आती है तो बीजेपी यूपीए (UPA) सरकार को दोषी ठहराती है और कांग्रेस बीजेपी (BJP) की नीतियों पर निशाना साधती है।
आकलन समिति के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी को दिये नोट में उन्होंने कहा, 'कोयला खदानों के संदिग्ध आबंटन के साथ जांच की आशंका जैसे राजकाज से जुड़ी विभिन्न समस्याओं के कारण संप्रग सरकार तथा उसके बाद राजग सरकारों दोनों में सरकारी निर्णय में देरी हुई।' राजन ने कहा कि इससे परियोजना की लागत बढ़ी और वे अटकने लगी। इससे कर्ज की अदायगी में समस्या हुई है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज (NPA) की भारी समस्या के लिये पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय 'फोन पर कर्ज' के रुप में हुए घोटाले को जिम्मेदार ठहराया था।
उन्होंने कहा कि 'नामदारों' के इशारे पर बांटे गए कर्ज की एक-एक पाई वसूली की जाएगी। उन्होंने कहा कि चार-पांच साल पहले तक बैंकों की अधिकांश पूंजी केवल एक परिवार के करीबी धनी लोगों के लिए आरक्षित रहती थी। आजादी के बाद से 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रुपये के रिण दिए गए थे लेकिन उसके बाद के 6 वर्षों में यह आंकड़ा 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वहीं पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने पलटवार करते हुये पूछा कि एनडीए सरकार को यह बताना चाहिए कि उनके समय में दिए गए कितने ऋण डूब गए। कांग्रेस नेता ने इस संबंध में कई ट्वीट किए।
उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, 'मई 2014 के बाद कितना कर्ज दिया गया और उनमें से कितनी राशि डूब (Non performing Assets) गई। चिदंबरम ने कहा कि यह सवाल संसद में पूछा गया लेकिन अब तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है।
चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जब कहते हैं कि यूपीए सरकार के समय दिए गए कर्ज डूब गए, इस बात को अगर सही मान भी लिया जाए तो उनमें से कितने कर्जों का मौजूदा एनडीए सरकार के कार्यकाल में नवीकरण किया गया और उनमें से कितने को रॉल ओवर (वित्तीय करारनामे की शर्तों पर पुन: समझौता करना) (मतलब एवरग्रीनिंग) किया गया।'
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पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'उन कर्जों को वापस क्यों नहीं लिया गया? उन कर्जों को एवरग्रीन क्यों किया गया।' आपको बता दें कि एवरग्रीन ऋण ऐसा कर्ज होता है जिसमें एक खास अवधि के भीतर मूलधन का भुगतान करने की जरूरत नहीं होती है।
Source : News Nation Bureau