उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी (नारायण दत्त तिवारी) का गुरुवार दोपहर निधन हो गया. एनडी तिवारी का निधन उनके जन्मदिन के दिन हुआ है. उन्होंने दिल्ली के साकेत स्थित निजी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता रहे नारायण दत्त तिवारी का राजनीतिक जीवन जहां उनके लिए ढेरों सफलता लाया वहीं उनका निजी जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा.
एनडी तिवारी की जीवनी-
एनडी तिवारी के नाम से जाने जाने वाले नारायण दत्त तिवारी भारतीय राजनीति का एकमात्र ऐसा चेहरा रहे, जो दो राज्यों के मुख्यमंत्री रह चुके थे. वह तीन बार उत्तर प्रदेश और एक बार उत्तराखंड से सीएम रह चुके हैं. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं. इसके साथ ही एक बार वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके थे.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नारायण दत्त तिवारी का बड़ा योगदान रहा हैं. इनका जन्म 18 अक्टूबर सन 1925 को नैनीताल जिले के बलुती गावं में हुआ था. एनडी तिवारी की शिक्षा हल्द्वानी, नैनीताल और बरेली में हुई. बाद में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पिता पूर्णानंद की तरह आजादी के आन्दोलन में कूद गए.
यह आज़ादी की लड़ाई में काफी सक्रिय रहे थे. इन्होंने सन् 1942 के आंदोलन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ तीव्र आंदोलन करने के कारण नैनीताल जेल में डाल दिए गए थे. जिस जेल में पिता और पुत्र एक साथ रहे, लगभग 15 महिने की सजा के बाद यह साल 1944 में जेल से बाहर आए थे.
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इनके राजनीतिक सफर की शुरूआत साल 1947 में हुई, जब यह पहली बार इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन के अध्यक्ष चुने गए. साल 1952 में एनडी ने नैनीताल सीट से चुनाव लड़े और जीत गए. इस तरह यह उत्तरप्रदेश विधानसभा पहुंचे. सन् 1965 में एनडी ने काशीपुर विधानसभा से चुनाव जीता था. इस जीत के बाद इन्हें उत्तरप्रदेश के मंत्रीमंडल में जगह मिली थी. एनडी की लगातार जीत और अच्छे प्रदर्शन का लाभ इन्हें का कांग्रेस के साथ के रुप में मिला.
धीरे-धीरे वह कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शामिल हो गए. सन् 1969 से 1971 तक तिवारी जी कांग्रेस के युवा संघटन के अध्यक्ष रहे. एनडी तिवारी को बड़ा ख्याति तब मिली जब यह सन 1976 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और यह सरकार 1977 में गिर गई. इसके बाद वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों के मुख्यमंत्री भी रहे.
एनडी तिवारी के जीवन से जुड़े विवाद-
इस राजनेता के जीवन में एक बड़ा विवाद तब आया जब 32 वर्षीय रोहित शेखर ने इन पर आरोप लगाया कि एनडी तिवारी उसके पिता हैं. एनडी तिवारी ने इन आरोपों का साफ तौर पर खंडन कर दिया था. इसके बाद शेखर की मां उज्ज्वला ने साल 2008 में एनडी तिवारी के खिलाफ अदालत का सहारा लिया. कानूनी कार्रवाई की गई, एनडी तिवारी, उज्ज्वला और शेखर का ब्लड शैम्पल लिया गया. मेडिकल रिपोर्ट आ गई, जिसे एनडी ने कहा कि सार्वजनिक न किया जाए. पर अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के आदेश दे दिये. रिपोर्ट में जो आया वह सबके लिए चौंकाने वाला था. ब्लड रिपोर्ट से यह साबित हो गया कि शेखर एनडी तिवारी के ही बेटे हैं. कोर्ट के फैसले के बाद एनडी तिवारी ने भी इस बात को मान लिया. 15 मई, 2014 को एनडी ने उज्जवला से भारतीय रीति रिवाजों के अनुसार शादी की थी.
Source : News Nation Bureau