प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बोगीबील में बने देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क पुल का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'चार साल पहले किसी ने नहीं सोचा होगा कि हेलीकॉप्टर घोटाले में शामिल किसी व्यक्ति को भारपत वापस लाया जा सकेगा लेकिन हमारी सरकार ऐसा करने में सक्षम रही.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'लगभग 16 वर्ष पहले अटलजी यहां आए थे, उनका सपना था कि बोगीबील ब्रिज का विकास हो. यह ब्रिज उन्हें श्रद्धांजलि है. जब 2004 में वाजपेयीजी की सरकार चली गई, विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रॉजेक्ट नहीं पूरे किए गए थे.'
पीएम मोदी ने कहा, '2014 में सरकार बनने के बाद हमने इस प्रॉजेक्ट की दिशा में आने वाली सारी बाधाओं को दूर किया और करीब 6000 करोड़ की लागत से बने इस ब्रिज को देश को समर्पित किया. अटलजी के जन्मदिवस पर उन्हें आज उत्तम श्रद्धांजलि दी है.'
उन्होंने कहा, 'जब हमने कार्यभार संभाला, हमने इन परियोजनाओं में तेजी लाई और उनके शीघ्र पूर्ण होने की दिशा में काम किया. लक्ष्य के मुताबिक बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई मिलने के साथ ही जन-जन की सुनवाई हो रही है.'
धेमाजी व डिब्रूगढ़ को जोड़ने वाले पुल का उद्घाटन करते हुए मोदी व उनका जुलूस पुल से गुजरा. पुल के मध्य में रुक कर मोदी ने दोनों तरफ इंतजार में खड़े हजारों लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया.
इस पुल की अनुमानित लागत 5,000 करोड़ रुपये है. इस पुल से असम व अरुणाचल प्रदेश में रह रहे करीब 50 लाख लोगों को फायदा पहुंचने की उम्मीद है और इससे खासतौर से जवानों के आवागमन में तेजी सुनिश्चित होने से देश की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी.
इस पुल की आधारशिला 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी.देवेगौड़ा ने रखी थी. इसका निर्माण कार्य अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान 2002 में शुरू हुआ.
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यह पुल असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा से करीब 20 किमी दूर स्थित है और ऐसे इसके तेजपुर में कोलिया भोमोरा सेतु के विकल्प के तौर पर कार्य करने की उम्मीद है.
Source : News Nation Bureau