कोविड की दूसरी लहर ने देश में तबाह मचा दी है. कोरोना के इस संकट काल में भारत की मदद करने के लिए दुनिया के तमाम देशों ने हाथ बढ़ाया है. भारत को दुनिया भर के मित्र देशों से मदद के तौर पर तमाम चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति हो रही है. किसी देश से दवाई आ रही हैं तो कुछ देश ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेज रहे हैं, जबकि कई देशों से अन्य जरूरी स्वास्थ्य उपकरणों की राहत के तौर पर आपूर्ति की जा रही है. हर रोज मित्र देशों से भारत में मदद पहुंच रही है, जिसे अलग अलग राज्यों में जरूरत के हिसाब से भेजा जा रहा है.
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशों से आने वाली सहायता का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्रीय दिल्ली को मिल चुका है. मालूम हो कि राजधानी दिल्ली में वैक्सीन से लेकर ऑक्सीजन, बेड्स की भारी किल्लत है. दिल्ली सरकार अभी लगातार दावा कर रही है कि उनके पास पर्याप्त ऑक्सीजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी है. मगर सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस संकट काल में विदेशों से मिली मदद का बड़ा हिस्सा दिल्ली को मिला है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 7 मई तक के सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि अभी तक 14 देशों से भारत को मदद आई है. इन सभी देशों से आने वाली मदद में से कुछ-न-कुछ हिस्सा दिल्ली को जरूर मिला है.
आंकड़ों के मुताबिक, विदेशों से अभी तक 2 हजार 933 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स आए, जिनमें से दिल्ली को 1 हजार 432 मिले. भारत को मिले कुल 13 ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट में से 8 प्लांट सिर्फ दिल्ली को दिए गए. इसके अलावा विदेशों से मिली मदद में से दिल्ली को 1040 Bi pap/C pap, 334 वेंटिलेटर, 687 ऑक्सीजन सिलेंडर, 24 हजार 200 गाउन, 9 लाख 78 हजार मास्क और 25 हजार 586 रेमडेसिविर की खुराकें दी गईं. इन सामानों को दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग और राम मनोहर लोहिया अस्पताल, डीआरडीओ फैसिलिटी और अन्य संस्थानों को दिया गया. दिल्ली को 160 पल्स ऑक्सीमीटर, 225 बेडसाइड मॉनीटर, 70 हजार से ज्यादा ऐंटीजन किट के साथ ही कई और स्वास्थ्य सामग्रियां दी गईं.
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सरकारी डेटा के अनुसार, विदेशों से मिली सहायता सामग्री देश में कोरोना के सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के साथ ही अन्य राज्यों को मिली है. वहीं विदेशों से आने वाली मदद को आवंटित करने का काम देख रही कमेटी के अध्यक्ष अमिताभ कांत कहते हैं कि विदेशों से आने वाली सहायता को आवंटित करने का सिस्टम ऑनलाइन है. यह प्रक्रिया डिजिटल है और उसमें कोई देरी नहीं है. अमिताभ कांत की मानें तो विदेशों से अब तक जितनी मदद आई, वह सब संबंधित राज्यों को भेज दी गई. इस मदद का बड़ा हिस्सा दिल्ली सहित अन्य राज्यों के एम्स को मिला.