केंद्र सरकार देश में करोड़ों-अरबों का घपला करके विदेश भागने वालों पर जल्द नकेल कसने वाली है. इनकी वापसी को लेकर कदम उठाए गए हैं. अधिकतर घोटालेबाज ब्रिटेन में बैठे हुए हैं. उन्हें वापस भारत लाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों की टीम तैयार की गई है. सरकार केंद्रीय जांच अभिकरण (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से तैयार एक उच्च स्तरीय दल को ब्रिटेन रवाना किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका उद्देश्य है कि भगोड़ों की वापसी को तेज करना है.
भगोड़ों में हथियार डीलर संजय भंडारी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी और किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर विजय माल्या आदि शामिल हैं. इसके साथ टीम भगोड़ों की अवैध कमाई का भी पता लगाने की कोशिश करने वाली है. ये पता लगाने की कोशिश होगी कि इन्होंने ब्रिटेन और अन्य देशों में कितनी संपत्ति खरीदी है. उसमें कितना खर्च किया है.
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हथियार डीलर भंडारी 2016 में फरार हो गया था. ईडी के अनुसार, भंडारी ने लंदन के साथ दुबई में संपत्ति हथिया ली थी. भंडारी, मोदी और माल्या का प्रत्यर्पण होना बाकी है. ये यूके में हैं. इनका प्रत्यर्पण इसलिए रुका हुआ है, क्योंकि उन्होंने भारत वापसी के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील दायर की हैं. ईडी पहले ही भारत में उनकी संपत्तियों को जब्त कर चुकी है. विजय माल्या और नीरव मोदी की हजारों करोड़ों की संपत्ति को बेचकर बैंकों का बकाया चुकाने की कोशिश की गई है.
भारत की ओर से यूके में एक समझौता हुआ था. इसका नाम आपसी कानूनी सहायता संधि (एमएलटी) दिया गया था. इसके तहत आर्थिक अपराधियों और अन्य से जुड़े आपराधिक मामलों की जांच को लेकर सूचना साझा करने के लिए बाध्य किया जाएगा.
बातचीत में विदेश मंत्रालय को शामिल किया गया
आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एमएलएटी से जुड़े सभी मामलों को देखने के लिए नोडल मिनिस्ट्री बनाई है. मगर इस मामले में यूके के साथ बातचीत में विदेश मंत्रालय को शामिल किया गया है. इसके जरिए सभी अनुरोध को उसी के जरिए दूसरे देशों को भेजा जाता है. नीरव मोदी पर पीएनबी में 6,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप हैं. वहीं बैंकों को ठगने के मामले में माल्या की 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क और जब्त कर ली गई थी.
Source : News Nation Bureau